कर स्पर्श से
लाजवन्ती सिकुड़ी ~
गाँव की राह
[2]
मावठ भोर~
फटी बंडी की जेब
टटोले वृद्ध
[3]
मकड़ीजाले~
जीर्ण झुग्गी में बैठे
वृद्ध युगल
[4]
ठूँठ झखाड़~
झरोखे में चिड़िया
तिनका दाबे
[5]
ज्येष्ठ मध्याह्न~
गन्ने लादे नारी के
नंगे कदम
[6]
कुहासा भोर~
मुड़ा खत पकड़े
माँ दूल्हे संग
[7]
भोर कुहासा~
बाला बाँधी फूलों की
तिरंगी बेणी
[8]
भोर लालिमा~
कूड़े के ढ़ेर संग
शिशु रूदन
[9]
श्रावण साँझ~
दलदल में फँसा
हाथी का बच्चा
[10]
मावठ भोर~
लहसुन की क्यारी में
नन्ही चप्पल
[11]
फाग पूर्णिमा~
महिला मुख पर
गोबर छींटे
[12]
गोस्त की गन्ध~
बालिका की गोद में
लेटा मेमना
29 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर हाइकु सुधा जी, सुंदर प्राकृतिक बिंबों के साथ।
अभिनव सृजन।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!
सुन्दर सृजन
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी!
वाह
सभी हायकु एक से बढ़कर एक हैं। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी!
मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु...
सस्नेह आभार।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार विरेन्द्र जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!
खूबसूरत सृजन
अति उत्तम हाइकू
जमीनी हकीकत बयां करते सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते लाजवाब हाइकु ।
विविधरंगी भावों से सुसज्जित अत्यंत सुंदर हाइकु । लाजवाब सृजन सुधा जी !
क्या बात है ! बहुतसुंदर
सुन्दर हाइकु
बहुत सुन्दर
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.ओंकार जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.अनीता जी!
तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
तहेदिल से धन्यवाद मीना जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.गगन शर्मा जी!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
अत्यंत आभार प्रिय मनीषा जी!
एक से बढ़कर एक हायकु
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार संजय जी!
बढ़िया हाइकु प्रिय सुधा जी । चाहकर है हाइकु सीख ना पाई पर थोड़े में कहने की अद्भुत कला है इस छोटे से हाइकु में।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!वाकई हायकु अद्भुत कला है।मैं भी प्रयास ही कर रही हूँ।आप भी शुरू कीजिए धीरे-धीरे सीख जायेंगे।
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