सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

किसको कैसे बोलें बोलों, क्या अपने हालात सम्भाले ना सम्भल रहे अब,तूफानी जज़्बात मजबूरी वश या भलपन में, सहे जो अत्याचार जख्म हरे हो कहते मन से , करो तो पुनर्विचार तन मन ताने देकर करते साफ-साफ इनकार, बोले अब न उठायेंगे, तेरे पुण्यों का भार तन्हाई भी ताना मारे, कहती छोड़ो साथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात सबकी सुन सुन थक कानों ने भी सुनना है छोड़ा खुद की अनदेखी पे आँखें भी रूठ गई हैं थोड़ा ज़ुबां लड़खड़ा के बोली अब मेरा भी क्या काम चुप्पी साधे सब सह के तुम कर लो जग में नाम चिपके बैठे पैर हैं देखो, जुड़ के ऐंठे हाथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात रूह भी रहम की भीख माँगती, दबी पुण्य के बोझ पुण्य भला क्यों बोझ हुआ, गर खोज सको तो खोज खुद की अनदेखी है यारों, पापों का भी पाप ! तन उपहार मिला है प्रभु से, इसे सहेजो आप ! खुद के लिए खड़े हों पहले, मन मंदिर साक्षात सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात ।।
बहुत सुंदर हाइकु सुधा जी, सुंदर प्राकृतिक बिंबों के साथ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी!
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!
हटाएंसभी हायकु एक से बढ़कर एक हैं। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार विरेन्द्र जी!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी!
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु...
सस्नेह आभार।
खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.ओंकार जी!
हटाएंअति उत्तम हाइकू
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.अनीता जी!
हटाएंजमीनी हकीकत बयां करते सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते लाजवाब हाइकु ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
हटाएंविविधरंगी भावों से सुसज्जित अत्यंत सुंदर हाइकु । लाजवाब सृजन सुधा जी !
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद मीना जी!
हटाएंक्या बात है ! बहुतसुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.गगन शर्मा जी!
हटाएंसुन्दर हाइकु
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार प्रिय मनीषा जी!
हटाएंएक से बढ़कर एक हायकु
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार संजय जी!
जवाब देंहटाएंबढ़िया हाइकु प्रिय सुधा जी । चाहकर है हाइकु सीख ना पाई पर थोड़े में कहने की अद्भुत कला है इस छोटे से हाइकु में।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!वाकई हायकु अद्भुत कला है।मैं भी प्रयास ही कर रही हूँ।आप भी शुरू कीजिए धीरे-धीरे सीख जायेंगे।
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