बीती ताहि बिसार दे

 

Story let go

स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए ।

ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं। 

पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए ।

कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं । 

परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।  

ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने लगता है ।

उन यादों के झुरमुट से कुछ खुशियाँ, कुछ अच्छे अनुभव और ज्ञान लेकर झटपट वर्तमान की झोली में डाल नकारात्मक अनुभवों की यादों को लेट गो करके तटस्थ भाव से वर्तमान पर ध्यान केन्द्रित कर पाएं तो ठीक वरना 'बीती ताहि बिसार दे'  की कहावत ही सही क्योंकि कहीं हमारे अतीत से जुड़ी ये कुछ नकारात्मक यादें हमारे अवेयरनेस को बोझिल कर हमारे आज की खुशियों को भी फीका ना कर दें ।



सादर आभार एवं अभिनंदन आपका 🙏🙏

पढ़िए एक और लेख निम्न लिंक पर

● तन में मन है या मन में तन



टिप्पणियाँ

  1. यादों के झुरमुट से
    कुछ खुशियाँ,
    कुछ अच्छे अनुभव और
    ज्ञान लेकर
    झटपट वर्तमान की झोली में
    डाल नकारात्मक
    अनुभवों की यादों को
    लेट गो करके
    व्वाहहहह
    सादर

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