【1】
एक विधवा वन से लकड़ियां काटकर उन्हें घर -घर बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करती थी अचानक वन विभाग से लकड़ी काटने पर सख्त मनाही होने से वह जंगल से लकड़ियां नहीं ला पायी तो घर में भुखमरी की नौबत आ गयी उससे ये सब सहा न गया तो वह रात के अंधेरे में जंगल से लकड़ियां चुराने निकल पड़ी, उसने लकड़ियां काटकर गट्ठर तैयार किया और उठाने ही वाली थी कि तभी भयंकर चिंघाड़ सुनकर उसके हाथ पैर ठंडे पड़ गये देखा तो उसके ठीक सामने चीता खड़ा था , काटो तो खून नहीं वाली हालत थी उसकी डर से...बचने का कोई तरीका नहीं सूझ रहा था उसे...अनायास ही उसने दोनो हाथ जोड़ दिये और जैसी थी वैसी ही जड़ हो गयी, उसने बताया चीता उसके और करीब आया इतना करीब कि अब उसे उसका पीछे का हिस्सा ही दिखाई दे रहा था और वह अपलक स्थिर हाथ जोड़े खड़ी थी उसे लगा कि चीते ने उसे सूंघा और क्षण भर बाद वह मुड़ गया और वहां से चला गया। इसी खौफनाक दृश्य पर निर्मित्त् हाइबन ......
लकड़ी गट्ठा~
करबद्ध महिला
चीता सम्मुख
【2】
ओशो की जानकारी के अनुसार1937 में तिब्बत और चीन के बीच बोकाना पर्वत की एक गुफा में 716 पत्थर के रिकार्डर मिले हैं । आज से कोई साढ़े 13 हजार साल पुराने। ये रिकॉर्डर बड़े आश्चर्य के हैं, क्योंकि ये रिकॉर्डर ठीक वैसे ही हैं, जैसे ग्रामोफोन का रिकॉर्ड होता है। ठीक उसके बीच में एक छेद है और पत्थर पर ग्रूव्ज है, जैसे कि ग्रामोफोन के रिकॉर्ड पर होते हैं। अब तक यह नहीं पता चला कि ये किस यंत्र पर बजाए जा सकेंगे।
रूस के एक बड़े वैज्ञानिक डॉ. सर्जीएव ने वर्षों तक मेहनत करके यह प्रमाणित तो कर दिया है कि वे रिकॉर्ड ही हैं। बस यह तय नहीं हो पाया कि किस यंत्र पर और किस सुई के माध्यम से ये पुनर्जीवित हो सकेंगे, अगर ये एकाध पत्थर का टुकड़े होते तो हम इन्हें सांयोगिक भी मान सकते थे, पर ये पूरे 716 हैं। और सब एक जैसे, जिनमें बीच में छेद हैं। सब पर ग्रूव्ज है और इनकी पूरी तरह साफ-सफाई करने के बाद जब विद्युत यंत्रों से परीक्षण किया गया तो बड़ी हैरानी हुई कि उनसे प्रतिपल विद्युत की किरणें विकिरणित हो रही हैं। लेकिन आज से 13 हजार साल पहले भी क्या ऐसी कोई व्यवस्था थी कि वह पत्थरों में कुछ रिकॉर्ड कर सके , हैरानी की बात है। पत्थर के इन रिकॉर्डर पर निर्मित हाइबन-----
बोकाना गिरी~
शिला के रिकॉर्डर
कंदरा मध्य।
चित्र, साभार गूगल से....