बुधवार, 20 जनवरी 2021

एक मोती क्या टूटा जो उस माल से...


Pearls


एक मोती क्या टूटा जो उस माल से

हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी


एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से

नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी


तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर

त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी


लौट के आ समय पर समय कह रहा

फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई


 था जो कमजोर झटके में टूटा यहाँँ

जोड़ कर गाँठ अब उसमें पड़ ही गयी


कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए

सोच उसकी भी आगे निकल ही गई


तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर

जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई


  चित्र साभार pixabay से.....


रविवार, 10 जनवरी 2021

हिन्दी अपनी शान

कुण्डलिया छन्द --   प्रथम प्रयास

hindi poem



 【1】

हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।

शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।

भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।

उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।

कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी 


【2】

भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।

सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।

है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती।

चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती।

कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा।

हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।।


चित्र, साभार pixabay से......

मरे बिना स्वर्ग ना मिलना

 कंधे में लटके थैले को खेत की मेंड मे रख साड़ी के पल्लू को कमर में लपेट उसी में दरांती ठूँस बड़े जतन से उस बूढ़े नीम में चढ़कर उसकी अधसूखी टहनिय...