एक मोती क्या टूटा जो उस माल से...
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja3TOF8Ua9rISVWDZNOv_syg3FNYinwOrZ7lBL5cRtZDhe_XDhleY_bA_kywShW2C80PMqZjJ1dma6G8mWHiqqPgC-6Mtmay8JOJUojAl6kQnb9TuSgh9yyT7YUr-BFseierTNnVipG78X/w200-h133/pearl-943797__480.jpg)
एक मोती क्या टूटा जो उस माल से हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी लौट के आ समय पर समय कह रहा फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई था जो कमजोर झटके में टूटा यहाँँ जोड़ कर गाँठ अब उसमें पड़ ही गयी कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए सोच उसकी भी आगे निकल ही गई तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई चित्र साभार pixabay से.....