रविवार, 10 जनवरी 2021

हिन्दी अपनी शान

कुण्डलिया छन्द --   प्रथम प्रयास

hindi poem



 【1】

हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।

शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।

भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।

उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।

कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी 


【2】

भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।

सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।

है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती।

चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती।

कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा।

हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।।


चित्र, साभार pixabay से......

52 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर तरह से सार्थक, पूर्ण तथा व्यापक होने के बावजूद अपना हक़ नहीं पा सक रही है

Meena Bhardwaj ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Meena Bhardwaj ने कहा…

भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।
सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।
हिन्दी भाषा के सम्मान मनमोहक कुंडलियों का सृजन लाजवाब है सुधा जी ! बहुत बहुत बधाई ।

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत सुंदर। बधाई और आभार।

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत सुंदर। बधाई और आभार।

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत सुंदर। बधाई और आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सही कहा आपने...
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सर!

Vocal Baba ने कहा…

सुन्दर और सार्थक छंद रचना के लिए आपको बधाई। सादर।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ. विश्वमोहन जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद विरेन्द्र जी!

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित शुभ प्रभात आदरणीया सुधा देवरानी जी।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर सुधा जी ।शुभ कामनाएं

Jyoti Dehliwal ने कहा…

कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी।।
बहुत सुंदर। पविश्व हिन्दी दिवस की शुभकामना, सुधा दी।

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 11 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sudha Devrani ने कहा…

आपको भी विश्व हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं,आ. पुरुषोत्तम जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ आ.आलोक जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ. दिग्विजय जी मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर साझा करने हेतु...
सादर आभार।

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-1-21) को "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (चर्चा अंक-3944) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा



सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शुभकामनाएं हिन्दी दिवस पर। सुन्दर सृजन।

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

विश्व हिंदी दिवस की असंख्य शुभकामनाएं, बहुत सुन्दर सृजन।

Sweta sinha ने कहा…

हिंदी हमारी व्यवहारिक आत्मा का गीत है किंतु अपेक्षाकृत हिंदी भाषियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है उन्हें अनपढ और गँवार समझा जाता है इस मानसिकता का हमें विरोध करना होगा।
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी प्रिय सुधा जी।
सस्नेह।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कामिनी जी चर्चा मंच में मेरी रचना साझा करने हेतु।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी !आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, सर!
आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा श्वेता जी आपने...हिन्दी भाषियों को अनपढ़ और गँवार समझा जाता है और लोग इस मानसिकता का विरोध करने के वजाय अपनी हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों को मिश्रित कर आधुनिकता की होड़ में शामिल हो रहे हैं....।जो बहुत ही दुखद है।
आपको रचना अच्छी लगी हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

संजय भास्‍कर ने कहा…

मनमोहक कुंडलियों का सृजन

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

सुधा जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Amrita Tanmay ने कहा…

" जो सुधा कहे बात ".....वही तो है हर हृदय की बात । अति सुन्दर ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद संजय जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद रितु जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद अमृता जी!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

अच्छी कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आपका आभार

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुन्दर कुंडलनियाँ ... भाषा दिवस का मान भाषा में ही ...
सच है हिन्दी का भण्डार ... गेयता और सुन्दरता का कोई सानी नहीं ... बाखूबी आपने लिखा है ...

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद, शबनम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद नासवा जी!

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

कौन हिंदी-प्रेमी होगा सुधा जी जो आपकी रची इन कुंडलियों पर अपना मन न्यौछावर न कर दे ?

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.जितेंद्र जी!

रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा जी , आपने प्रथम प्रयास में ही अद्भुत कुडली सृजन किया है | हिंदी को समर्पित ये कुंडलियाँ बहुत ही सार्थक और उत्तम हैं | यूँ ही लिखती रहिये | सस्नेह शुभकामनाएं|

Sudha Devrani ने कहा…

ये एक कोशिश है रेणु जी!उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी! सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।

मन की वीणा ने कहा…

अहा सुधा जी ! सुंदर मनभावन कुंडलियाँ छंद वो भी हिंदी के सम्मान हित,अप्रतिम सार्थक सृजन उत्कृष्ट भाव दोनों कु० बहुत सुंदर बनी है ।
बधाई और साधुवाद।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी! बस प्रयास किया आपको ठीक लगी तो श्रम साध्य हुआ.. अत्यंत आभार आपका।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

हिंदी को समर्पित सुंदर सिरमौर जैसी सार्थक कुंडलियां...
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई 💐💐

Bharti Das ने कहा…

वाह अत्यधिक सुंदर, विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद भारती जी!
सादर आभार।

हो सके तो समभाव रहें

जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये ।  कभी किनारे की चाहना ही न की ।  बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को ,  पर रुके नहीं कहीं, ब...