राजनीति और नेता
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आज मेरी लेखनी ने राजनीति की तरफ देखा, आँखें इसकी चौंधिया गयी मस्तक पर छायी गहरी रेखा। संसद भवन मे जाकर इसने नेता देखे बडे-बडे, कुछ पसरे थे कुर्सी पर , कुछ भाषण देते खडे-खडे। कुर्सी का मोह है , शब्दों में जोश है, विपक्ष की टाँग खींचने का तो इन्हें बडा होश है। लकीर के फकीर ये,और इनके वही पुराने मुद्दे, बहस करते वक्त लगते ये बहुत ही भद्दे काम नहीं राम मंदिर की चर्चा इन्हें प्यारी है, शुक्र है इतना कि अभी मोदी जी की बारी है। मोदी जी का साथ है, देश की ये आस है। कुछ अलग कर रहे हैं, और अलग करेंगें, यही हम सबका विश्वास है। लडखडाती अर्थव्यवस्था की नैया को पार लगाना है विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी आपको देश आगे बढाना है।