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नवंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बधाई शुभकामनाएं

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  आओ लौटें ब्लॉग पर, लेखन सुलेख कर एक दूसरे से फिर, वही मेल भाव हो । पंच लिंक का आनंद,मंच सजे सआनंद हर एक लिंक सार, पढ़ने का चाव हो । सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार स्थापना दिवस आज, पूरा हर ख़्वाव हो । शुभकामना अनेक, मंच फले अतिरेक ऐसे नेक कार्य हेतु, मन से लगाव हो । पंच लिंक की चौपाल, सजे यूँ ही सालों साल बधाई शुभकामना, शुद्ध मन भाव हो । मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर 👇 ब्लॉग से मुलाकात.. बहुत समय के बाद  

राजनीति और नेता

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             आज मेरी लेखनी ने  राजनीति की तरफ देखा,  आँखें इसकी चौंधिया गयी  मस्तक पर छायी गहरी रेखा।                                                                                   संसद भवन मे जाकर इसने     नेता देखे बडे-बडे,  कुछ पसरे थे कुर्सी पर ,      कुछ भाषण देते खडे-खडे।                                 कुर्सी का मोह है ,         शब्दों में जोश है,  विपक्ष की टाँग खींचने का       तो इन्हें बडा होश है।                      लकीर के फकीर ये,और        इनके वही पुराने मुद्दे,   ...

प्रकृति की रक्षा ,जीवन की सुरक्षा

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       ो उर्वरक धरती कहाँ रही अब सुन्दर प्रकृति कहाँ रही अब  कहाँ रहे अब हरे -भरे  वन ढूँढ रहा है जिन्हें आज मन                            तोड़ा- फोड़ा इसे मनुष्य ने    स्वार्थ -सिद्ध करने  को      विज्ञान का नाम दे दिया     परमार्थ सिद्ध करने को     सन्तुलन बिगड़ रहा है  अब भी नहीं जो सम्भले   भूकम्प,बाढ,सुनामी तो   कहीं तूफान  चले    बर्फ तो पिघली ही  अब ग्लेशियर भी बह निकले   तपती धरा की लू से   अब सब कुछ जले                       विकास कहीं विनाश न बन जाये विद्युत आग की लपटों में न बदल जाए संभल ले मानव संभाल ले पृथ्वी को आविष्कार तेरे तिरस्कार न बन जायें कुछ कर ऐसा कि सुन्दर प्रकृति शीतल धरती हो हरे-भरे वन औऱ उपवन हों कलरव हो पशु -पक्षियों का वन्य जीवों का संरक्षण हो           ...

'माँ ! तुम सचमुच देवी हो '

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किस मिट्टी की बनी हो माँ? क्या धरती पर ही पली हो माँ !? या देवलोक की देवी हो, करने आई हम पर उपकार। माँ ! तुम्हें नमन है बारम्बार!                                                     सागर सी गहराई तुममें,                     आसमान से ऊँची हो।.                     नारी की सही परिभाषा हो माँ !                     सद्गुणों की पूँजी हो। जीवन बदला, दुनिया बदली, हर परिवर्तन स्वीकार किया। हर हाल में धैर्य औऱ साहस से, निज जीवन का सत्कार किया।।                                                 सारे दुख-सुख दिल में रखकर,           ...

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