राजनीति और नेता
आज मेरी लेखनी ने
राजनीति की तरफ देखा,
आँखें इसकी चौंधिया गयी
मस्तक पर छायी गहरी रेखा।
संसद भवन मे जाकर इसने
नेता देखे बडे-बडे,
कुछ पसरे थे कुर्सी पर ,
कुछ भाषण देते खडे-खडे।
कुर्सी का मोह है ,
शब्दों में जोश है,
विपक्ष की टाँग खींचने का
तो इन्हें बडा होश है।
लकीर के फकीर ये,और
इनके वही पुराने मुद्दे,
बहस करते वक्त लगते
ये बहुत ही भद्दे
काम नहीं राम मंदिर की
चर्चा इन्हें प्यारी है,
शुक्र है इतना कि अभी
मोदी जी की बारी है।
मोदी जी का साथ है,
देश की ये आस है।
कुछ अलग कर रहे हैं,
और अलग करेंगें,
यही हम सबका विश्वास है।
लडखडाती अर्थव्यवस्था की
नैया को पार लगाना है
विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
आपको देश आगे बढाना है।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द परआप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक धन्यवाद आ.यशोदा जी ! मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंसार्थक सोच । मोदी पर अभी बजी विश्वास कायम है ।
जवाब देंहटाएंयशोदा ने 14 दिसंबर लिखा तो एक बार सोचना पड़ा कि आज क्या तारीख है ।
गतली से लिख दी
हटाएंक्षमा
सादर
लडखडाती अर्थव्यवस्था की
जवाब देंहटाएंनैया को पार लगाना है
विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
आपको देश आगे बढाना है।
मोदी जी ने आपकी कही सुन ली सुधा जी और यकिनन आपको निराश भी नहीं किया ☺️
सुधा जी, राजनेताओं की तारीफ़ और उनका समर्थन तभी कीजिए जब आपको राजनीतिक दलदल में कूदना हो.
जवाब देंहटाएंसहज सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमन के भावों की सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति ।
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