राष्ट्र की चेतना को जगाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
अंधेरे को टिकने न दें हम यहाँ
भय को भी छिपने न दें हम यहाँ
मन में किसी के निराशा न हो
आशा का सूरज उगाते चलें ।
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
जागे धरा और गगन भी जगे
दिशा जाग जाए पवन भी जगे
नया तान छेड़े अब पंछी यहाँ
नव क्रांति के स्वर उठाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
अशिक्षित रहे न कोई देश में
पराश्रित रहे न कोई देश में
समृद्धि दिखे अब चहुँ दिश यहाँ
सशक्त राष्ट्र अपना बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
प्रदूषण हटाएंं पर्यावरण संवारें
पुनः राष्ट्रभूमि में हरितिमा उगायें
सभ्य, सुशिक्षित बने देशवासी
गरीबी ,उदासी मिटाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
जगे नारियाँ शक्ति का बोध हो
हो प्रगति, न कोई अवरोध हो
अब देश की अस्मिता जाए
शक्ति के गुण गुनगुनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...........
युवा देश के आज संकल्प लें
नव निर्माण फिर से सृजन का करें
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........