महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली।
एक श्रमिक कुटी में बंधित,
भूखे बच्चों को बहलाता ।
एक श्रमिक शिविर में ठहरा,
घर जाने की आस लगाता।
गेहूँ पके खेत में झरते,
मौसम भी कर रहा ठिठौली।
महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली ।
विज्ञान खड़ा मुँह ताक रहा,
क्या पुनः अंधभक्त बन जायें ?
कौन देव की शरण में जाकर,
इस राक्षस से मुक्ति पायें ?
एक कोप कोरोना बनकर,
खेल रहा है आँख मिचौली।
महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली ।
चित्र ;साभार गूगल से.....
29 टिप्पणियां:
महाशक्ति लाचार खड़ी त्राहिमाम मानवता बोलती
एक श्रमिक कुटी में बंधित,भूखे बच्चों को बहलाता
सटीक ,सामयिक रचना
एक कोप कोरोना बनकर,
खेल रहा है आँख मिचौली।
महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली ।
बहुत ही सटिक रचना, सुधा दी।
बहुत सुंदर सामयिक रचना
महाशक्ति,भक्ति,सम्मति
समय नियति से बोल रहा
धैर्य धरो अभी प्रलयकाल
मृत्यु का चँवर डोल रहा
....
बहुत सुंदर समसामयिक सृजन सुधा जी।
आपकी रचनाएँ यथार्थ का आईना होती हैं।
सादर।
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आभारी हूँ रितु जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी !
सस्नेह आभार।
आभारी हूँ अनीता जी !हृदयतल से धन्यवाद आपका।
हदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१८-०४-२०२०) को 'समय की स्लेट पर ' (चर्चा अंक-३६७५) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी
समय की नब्ज टटोलती बहुत अच्छी रचना
सादर
हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु...।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
चल रहे समय के यथार्थ का सुन्दर अंकन .नवगीत के रूप में बहुत सुन्दर सृजन
बहुत सुंदर गीत।
आभारी हूँ मीना जी !बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद नितीश जी !
महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली।
सही कहा आपने ,बड़ी ही भयावह स्थिति हैं ,मार्मिक सृजन सुधा जी ,सादर नमन
करोना-काल की बिडंबना की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति। प्रकृति,विज्ञान और मानव के बीच चल रहे विश्वव्यापी द्वंद्व को चित्रित करता मुनासिब नवगीत।
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
लिखते रहिए।
आभारी हूँ सखी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।
हार्दिक धन्यवाद रविन्द्र जी! उत्साहवर्धन हेतु...
सादर आभार।
सुंदर 👌🏻👌🏻👌🏻
सुन्दर गीत
आभारी हूँ नीतू जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हार्दिक धन्यवाद, उर्मिला जी !
सस्नेह आभार।
बहुत खूब | अत्यंत सराहनीय समसामयिक सृजन प्रिय सुधा जी | सच में विज्ञान और ज्ञान सब लाचार इस कोरोना के समक्ष | सस्नेह --
जी सखी! विकट समस्या खड़ी है आज पूरे विश्व पर....
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
समय की विडम्बना पर सार्थक लेखन,
सुंदर नवगीत।
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी रचना साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!
सस्नेह आभार।
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