सोमवार, 25 सितंबर 2023

गणपति वंदना

 

Ganesha god


जय जय जय गणराज गजानन

गौरी सुत , शंकर नंदन ।

प्रथम पूज्य तुम मंगलकारी

करते हम करबद्ध वंदन ।


मूस सवारी गजमुखधारी

मस्तक सोहे रोली चंदन ।

भावसुमन अर्पित करते हम

हर लो प्रभु जग के क्रंदन ।


सिद्धि विनायक हे गणनायक 

विघ्नहरण मंगलकर्ता ।

एकदंत प्रभु दयावंत तुम

करो दया संकटहर्ता ।


चौदह लोक त्रिभुवन के स्वामी

रिद्धि सिद्धि दातार प्रभु  !

बुद्धि प्रदाता, देव एकाक्षर

भरो बुद्धि भंडार प्रभु  !


शिव गिरिजा सुत लम्बोदर प्रभु

कोटि-कोटि प्रणाम सदा ।

श्रीपति श्री अवनीश चतुर्भुज

 विरजें मन के धाम सदा।

रविवार, 17 सितंबर 2023

मिला कुण्डली ब्याहते

Arranged marriage dohe


मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।

अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।

कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ता हाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार ।

जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।


कुछ इकतरफा प्रेम से, सींचे निज संसार ।

साथी से मिलता नहीं, इक कतरा भी प्यार ।


कुछ को बिछड़े प्रेम का, गहराया उन्माद ।

जीवन आगे बढ़ रहा, ठहरे यादों साथ।


साथी में ढूँढ़े सदा, अपना वाला प्यार।

गुण उसके दिखते नहीं, करते व्यर्थ प्रहार ।


अनदेखा कर आज को, बीती का कर ध्यान ।

सुख समृद्धि विहीन ये, जीवन नरक समान ।




गुरुवार, 31 अगस्त 2023

जरा अलग सा अबकी मैंने राखी पर्व मनाया

Rakhi

🌺 रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं🌺


जरा अलग सा अबकी मैने राखी पर्व मनाया ।

रौली अक्षत लेकर अपने माथे तिलक लगाया ।।


एक हाथ से राखी लेकर दूजे पर जब बाँधी !

लगी पूछने खुद ही खुद से क्यों सीमाएं लाँघी ?


भाई बहन का पर्व है राखी, क्यों अब इसे भुलाया ?

 रक्षा सूत्र को ऐसे खुद से खुद को क्यों पहनाया ?


दो मत दो रूपों में मैं थी अपने पर ही भारी !

मतभेदों की झड़ी लगी मुझ पे ही बारी-बारी।


तिरछी नजर व्यंगबाण धर  मुझसे ही मैं बोली !

सीमा पर तैनात है तू, जो भय था लगे ना गोली ?


रक्षा सूत्र बाँध स्वयं की किससे रक्षा करती  ?

ऐसी भी कुछ खास नहीं ,जो बुरी नजर से डरती !


ठंडी गहरी साँस भरी फिर शाँतचित्त कह पायी !

मुझसे ही मेरी रक्षा का बंधन आज मनायी !


मैं ही हूँ दुश्मन अपनी अब जाकर मैंने जाना ।

अपने ही अंतर्मन रिपु को अच्छे से पहचाना ।


राग द्वेष, ईर्ष्या मद मत्सर ये दुश्मन क्या कम थे !

मोह चाह महत्वाकांक्षा के अपने ही गम थे ।


तिस पर मन तू भी बँट-छँट के यूँ विपरीत खड़ा है ।

वक्त-बेबक्त बात-बेबात अटकलें लिए पड़ा है


शक,संशय, भय, चिंता और निराशा साथ सदा से।

देता रहता बिन माँगे भी,  हक से, बड़ी अदा से ।।


रक्षा सूत्र धारण कर मैंने अब ये वचन लिया है ।

नकारात्मकता टिक न सके, अवचेतन दृढ़ किया है।


निराशावादी भावों से निज रक्षा स्वयं करुँगी ।

स्वीकार करूंगी होनी को, अब विद्यमान रहूँगी ।।








शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

मन में भरे उमंग, मनोहर पावन सावन

Rainy season

 


सावन बरसा जोर से, नाच उठा मनमोर ।

कागज की कश्ती बही , बाल मचाये शोर ।।

बाल मचाये शोर, पींग झूले की भरते ।

रिमझिम बरसे मेघ, भीग अठखेली करते ।।

कहे सुधा सुन मीत, कि पावस है मनभावन ।

मन में भरें उमंग, मनोहर पावन सावन ।।


आया सावन मास अब, मन शिव में अनुरक्त ।

पूजन अर्चन जग करे, शिव शिव जपते भक्त ।।

शिव शिव जपते भक्त, चल रहे काँवर टाँगे ।

करते शिव अभिषेक,  मन्नतें प्रभु से माँगे ।।

चकित सुधा करजोरि, देखती शिव की माया ।

भक्ति भाव उल्लास ,  लिये अब सावन आया ।।


गुरुवार, 6 जुलाई 2023

दुखती रगों को दबाते बहुत हैं

 

Gajal

दुखती रगों को दबाते बहुत हैं,

कुछ अपने, दुखों को बढ़ाते बहुत हैं ।


सुनकर सफलता मुँह फेरते जो,

खबर हार की वो फैलाते बहुत हैं ।


अंधेरों में तन्हा डरा छोड़़ जाते,

उजालों में वे साथ आते बहुत हैं ।


भूखे से बासी भी भोजन छुपाते,

मनभर को छक-छक खिलाते बहुत हैं ।


बनी बात सुनने की फुर्सत नहीं है,

बिगड़ी को फिर-फिर दोहराते बहुत हैं ।


पूछो तो कुछ भी नहीं जानते हैं ,

भटको तो ताने सुनाते बहुत है ।


बड़े प्यार से अपनी नफरत निभाते,

समझते नहीं पर समझाते बहुत हैं ।


दिखाना है इनको मंजिल जो पाके,

इसी होड़ में कुछ, कमाते बहुत हैं ।


तानों से इनके आहत ना हों तो,

अनजाने ही दृढ़ बनाते बहुत हैं ।







गणपति वंदना

  जय जय जय गणराज गजानन गौरी सुत , शंकर नंदन । प्रथम पूज्य तुम मंगलकारी करते हम करबद्ध वंदन । मूस सवारी गजमुखधारी मस्तक सोहे रोली चंदन । भावस...