शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

प्रभु फिर आइए

Prabhu fie aiye prayer


जग के पालनहार
दीन करते गुहार
लेके अब अवतार
प्रभु फिर आइए ।

दैत्य वृत्ति बढ़ रही
कुत्सा सर चढ़ रही
प्रीत का मधुर राग
जग को सुनाइए ।

भ्रष्ट बुद्धि हुई क्रुद्ध
धरा झेल रही युद्ध
सृष्टि के उद्धार हेतु
चक्र तो उठाइए ।

कर्म की प्रधानता का
धर्म की महानता का
सत्य पुण्य नीति ज्ञान
सब को बताइये ।

दुष्ट का संहार कर
तेज का विस्तार कर
धुंध के विनाश हेतु
मार्ग तो सुझाइए ।

बने पुनः विश्व शान्ति
मिटे सभी मन भ्रांति
भक्त हो सुखी सदैव
कृपा बरसाइए ।

आओ न कृपानिधान
बाँसुरी की छेड़ तान
विधि के विधान अब
पुनः समझाइए  ।

धर्म की कराने जय
मेंटने संताप भय
दिव्य रुप धार कर
प्रभु फिर आइए ।






शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

मैथड - जैसे को तैसा


Story method


 "माँ ! क्या सोच रही हो" ?

"कुछ नहीं बेटा ! बस यूँ ही"।

"कैसे बस यूँ ही ? आपने ही तो कहा न माँ कि आप मेरी बैस्ट फ्रेंड हैं, और मैं अपनी हर बात आपसे शेयर करूँ" ! 

"हाँ कहा था,  तो" !...

 "तो आप भी तो अपनी बातें मुझसे शेयर करो न ! मैं भी तो आपकी बैस्ट फ्रेंड हुई न..... हैं न माँ"!

 "हाँ भई ! मेरी पक्की वाली सहेली है तू भी , और बताउँगी न तुझे अपनी सारी बातें....पहले थोड़ा बड़ी तो हो जा" ! मुस्कराते हुए माँ ने उसके गाल छुए।

"मैं बड़ी हो गयी हूँ , माँ ! आप बोलो न अपनी बात मुझसे ! मुझे सब समझ आता है"। हाथों को आपस में बाँधकर बड़ी बड़ी आँखें झपकाते हुए वह माँ के ठीक सामने आकर बोली ।

"अच्छा ! इतनी जल्दी बड़ी हो गयी" ! (माँ ने हँसकर पुचकारते हुए कहा )

"हाँ माँ ! अब बोलो भी ! उदास क्यों हो ? क्या हुआ"  ? कहते हुए उसने अपने कोमल हाथों से माँ की ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाई ।

उसका हाथ अपने हाथ में लेकर माँ विचारमग्न सी अपनी ही धुन में बोली, "कुछ खास नहीं बेटा ! बस सोच रही थी कि मैं सबसे प्रेम से बोलती हूँ फिर भी कुछ लोग मेरा दिल दुखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते , कभी सीधे मुँह बात नहीं होती इनसे। जबकि मैं हर बार इनकी रुखाई को नजरअंदाज कर इनसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करती हूँ फिर भी ना जाने क्यों"...

"माँ ! इसका मतलब आपने अपनी प्रॉब्लम्स को सही से सॉल्व नहीं किया"।  बेटी बीच मे ही बोल पड़ी।

हैं ? कैसे ? (भँवे सिकोड़कर माँ ने पूछा)

"हाँ माँ  ! जैसे मैंने एक दिन क्लास में मैथ्स का एक क्वेश्चन सॉल्व किया आंसर भी सही था , फिर भी टीचर ने मुझे रिपीट करने को कहा और उसके जैसे दो क्वेश्चन और भी दे दिए" !

"अच्छा ! क्यों ? तूने पूछा नहीं टीचर से कि उत्तर सही है तो प्रश्न को फिर से क्यों" ?

"पूछा मैंने, तो उन्होंने कहा , उसी मैथड से क्वेश्चन सॉल्व करो जो माँगा गया है, वरना सही आंसर होने पर भी क्वेश्चन रॉन्ग !! जब तक उसी मैथड से नहीं करोगे तब तक ऐसे ही कई क्वेश्चन रिपीट करो" ।

"फिर "?... माँ ने आश्चर्य से पूछा ।

"फिर मैंने उस मैथड को अच्छे से समझा और बहुत सारे क्वेश्चन सॉल्व कर डाले । माँ ! आप भी पहले मैथड समझ लो अच्छे से .... फिर उसी मैथड से सॉल्व करना अपनी प्रॉब्लम्स को"  ।

"मैथड ! तरीका !...मतलब जैसे को तैसा ! ओह ! सही कहा बेटा मेरा भी मैथड ही रॉन्ग है, तभी"...  

बेटी तो अपनी मासूमियत के साथ और भी बतियाती  रही । पर माँ को जैसे उसका जबाब मिल गया । उसने आसमान की ओर देखा फिर आँखें बंद कर मन ही मन भगवान का शुक्रिया किया कि कैसे आज फिर मेरी ही बेटी को मेरा गुरू बनाकर मुझे सही सीख दे दी आपने।जब तक जैसे को तैसा तरीका नहीं अपनाउंगी तब तक  ऐसी समस्याएं बार-बार बनती ही रहेंगी ,।  लातों के भूत बातों से भला कब मानते हैं !



सोमवार, 25 सितंबर 2023

गणपति वंदना

 

Ganesha god


जय जय जय गणराज गजानन

गौरी सुत , शंकर नंदन ।

प्रथम पूज्य तुम मंगलकारी

करते हम करबद्ध वंदन ।


मूस सवारी गजमुखधारी

मस्तक सोहे रोली चंदन ।

भावसुमन अर्पित करते हम

हर लो प्रभु जग के क्रंदन ।


सिद्धि विनायक हे गणनायक 

विघ्नहरण मंगलकर्ता ।

एकदंत प्रभु दयावंत तुम

करो दया संकटहर्ता ।


चौदह लोक त्रिभुवन के स्वामी

रिद्धि सिद्धि दातार प्रभु  !

बुद्धि प्रदाता, देव एकाक्षर

भरो बुद्धि भंडार प्रभु  !


शिव गिरिजा सुत लम्बोदर प्रभु

कोटि-कोटि प्रणाम सदा ।

श्रीपति श्री अवनीश चतुर्भुज

 विरजें मन के धाम सदा।

रविवार, 17 सितंबर 2023

मिला कुण्डली ब्याहते

Arranged marriage dohe


मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।

अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।

कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ता हाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार ।

जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।


कुछ इकतरफा प्रेम से, सींचे निज संसार ।

साथी से मिलता नहीं, इक कतरा भी प्यार ।


कुछ को बिछड़े प्रेम का, गहराया उन्माद ।

जीवन आगे बढ़ रहा, ठहरे यादों साथ।


साथी में ढूँढ़े सदा, अपना वाला प्यार।

गुण उसके दिखते नहीं, करते व्यर्थ प्रहार ।


अनदेखा कर आज को, बीती का कर ध्यान ।

सुख समृद्धि विहीन ये, जीवन नरक समान ।




गुरुवार, 31 अगस्त 2023

जरा अलग सा अबकी मैंने राखी पर्व मनाया

Rakhi

🌺 रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं🌺


जरा अलग सा अबकी मैने राखी पर्व मनाया ।

रौली अक्षत लेकर अपने माथे तिलक लगाया ।।


एक हाथ से राखी लेकर दूजे पर जब बाँधी !

लगी पूछने खुद ही खुद से क्यों सीमाएं लाँघी ?


भाई बहन का पर्व है राखी, क्यों अब इसे भुलाया ?

 रक्षा सूत्र को ऐसे खुद से खुद को क्यों पहनाया ?


दो मत दो रूपों में मैं थी अपने पर ही भारी !

मतभेदों की झड़ी लगी मुझ पे ही बारी-बारी।


तिरछी नजर व्यंगबाण धर  मुझसे ही मैं बोली !

सीमा पर तैनात है तू, जो भय था लगे ना गोली ?


रक्षा सूत्र बाँध स्वयं की किससे रक्षा करती  ?

ऐसी भी कुछ खास नहीं ,जो बुरी नजर से डरती !


ठंडी गहरी साँस भरी फिर शाँतचित्त कह पायी !

मुझसे ही मेरी रक्षा का बंधन आज मनायी !


मैं ही हूँ दुश्मन अपनी अब जाकर मैंने जाना ।

अपने ही अंतर्मन रिपु को अच्छे से पहचाना ।


राग द्वेष, ईर्ष्या मद मत्सर ये दुश्मन क्या कम थे !

मोह चाह महत्वाकांक्षा के अपने ही गम थे ।


तिस पर मन तू भी बँट-छँट के यूँ विपरीत खड़ा है ।

वक्त-बेबक्त बात-बेबात अटकलें लिए पड़ा है


शक,संशय, भय, चिंता और निराशा साथ सदा से।

देता रहता बिन माँगे भी,  हक से, बड़ी अदा से ।।


रक्षा सूत्र धारण कर मैंने अब ये वचन लिया है ।

नकारात्मकता टिक न सके, अवचेतन दृढ़ किया है।


निराशावादी भावों से निज रक्षा स्वयं करुँगी ।

स्वीकार करूंगी होनी को, अब विद्यमान रहूँगी ।।








प्रभु फिर आइए

जग के पालनहार दीन करते गुहार लेके अब अवतार प्रभु फिर आइए । दैत्य वृत्ति बढ़ रही कुत्सा सर चढ़ रही प्रीत का मधुर राग जग को सुनाइए । भ्रष...