सोमवार, 30 मार्च 2020

चरणों में राधा क्यों....


RadhaKrishna : a story of true love

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

जग दे तुम्हें सम्मान प्रभु ने
क्या न कर डाला.....
जप में श्याम से पूर्व राधे
नाम रख डाला....
पनिहारिन बने मिलते वे
मटकी फोड़ कहलाये....
रचने रास राधे संग जमुना
तीर वो आये.....
फिर हर कलाकृति में यहाँ
हैं श्याम ज्यादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?

वामांगी है पत्नी सर्वदा सम्मान,
सम स्थान दें.......
कदमों में होंगी जन्नतें यदि
मूल-मंत्र ये मान लें....
तस्वीर यदि बदलें स्वयं श्रीहरि
भी ये ही चाहेंगे.....
राधा सहित यूँ श्रीकृष्ण फिर से
इस धरा में आयेंगे

सम्मान देंगे नारी को न करते
तुम ये वादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?
चित्र; साभार व्हाट्सएप से

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

ध्वज तिरंगा हाथ लेकर....

Indian flag


ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी
देश की वैदिक कथा को
     विश्व भर में फिर कहेगी

है सनातन धर्म अपना,
      देश की गरिमा बढ़ाता।
वेद में ब्रह्मांड पढ़कर
    विज्ञान भी है मात खाता।
श्रेष्ठ चिन्तन आचरण की,
     भावना  मन में   बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

व्यथित होंगे जन तन मन से,
          सूझेगा न जब उपचार दूजा ।
आज जो अनभिज्ञ हमसे,
          कल  करेंगे  हवन  पूजा ।
शुद्ध इस वातावरण से,
         एक खुशबू फिर बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
       इक हवा फिर से बहेगी ।


विश्वगुरू बन देश अपना,
       पद पे फिर आसीन होगा ।
योग और संयोग के बल,
      क्रांति नव संदेश देगा ।
वसुधैव कुटुम्बकम की,
         भावना फिर से फलेगी।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर ,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

                     चित्र साभार गूगल से....

मंगलवार, 10 मार्च 2020

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों?


Sad moon
 चित्र साभार गूगल से


पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों ?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?
फाग के रंग भी तुमको न भा रहे,
होली हुड़दंग से क्यों जी चुरा रहे ?
धरा के दुख से हो इतने उदास ज्यों !
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

होलिका संग दहन होंगी बुराइयां,
पट भी जायेंगी जातिवाद खाइयां ।
क्रांति इक दिन यहाँ जरूर आयेगी !
यकीं करो धरा फिर मुस्करायेगी !
खो रहे हो चाँद ऐसे आश क्यों.....?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

कोरोना भय से आज विश्व रो रहा,
सनातनी संस्कृति जब से खो रहा ।
सनातन धर्म आज जो अपनायेगा!
कोरोना भय उसे न यूँ सतायेगा।
वैदिक धर्म पे करो विश्वास यों !
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों  ?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?







गुरुवार, 5 मार्च 2020

आज जीने के लिए


white flower


शक्ति की आराध्य जो
रूप चण्डी चाहिए
गा सके झूठी कथा ,
वो भुशुण्डि चाहिए।

सत्य साक्षात्कार हो,
हर तरफ दुत्कार हो ।
दोष अपने सर धरे,
और जो लाचार हो।
यूँ बिके मजबूर से,
आज मण्डी चाहिए।
गा सके झूठी कथा,
वो भुशुण्डि चाहिए


हाथ पर यों हाथ धर,
सब  मिले आराम से ।
हुक्म पर दुनिया चले,
सिद्ध हों सब काम से।
उच्च पद डिग्री बिना,
खास झण्डी चाहिए ।
गा सके झूठी कथा,
वो भुशुण्डि चाहिए।


यौवना को देखकर,
लार टपकाते यहाँ ।
नर  मुखौटे में सभी
सियार छुप जाते यहाँ।
आज जीने के लिए ,
इक शिखण्डी चाहिए।
गा सके झूठी कथा
ऐसा भुशुण्डि चाहिए



रविवार, 1 मार्च 2020

हायकु



cute little flowers

1.   
    हरीरा गन्ध~
 बीमा पत्रक पर
  पुत्री का नाम....

2.
   पहाड़ी वन~
पेड़ो से पत्ते काटे
  ग्रामीण नारी....

3.
   ब्रह्म मुहूर्त~
पोथी पर सिर टेके
 सोया विद्यार्थी....

4.
 श्रावण साँझ~
दलदल में फँसा
हाथी का बच्चा....

5.
  काष्ठ संदूक ~
डायरी के पन्नों में
 सूखा गुलाब.....

6.
   सागर तट~
जलमग्न चाँद को
 ताके चकोर......

7.
   निर्जन पथ~
फटे वस्त्र लपेटे
  चलती नारी......

8.
  भोर लालिमा ~
कचड़े के ढ़ेर में
   शिशु रूदन......

9.
   मावठ भोर ~
लहसुन की क्यारी में
  नन्ही चप्पल....

10.
     शराब गन्ध
छात्र के गिलास से~
   शाला प्रांगण......

11.
    अक्षय तीज ~
नन्ही दुल्हन लेती
  थाली में फेरे....

12.
  ओला वृष्टि ~
मृतक के हाथ में
   खाली कटोरा......

13.
   चाय बागान ~
घूमती रमणी की
    फटी चुनरी......

14.
   वृद्ध आश्रम ~
पूजा करती अम्मा
  पौत्र जन्म पे......

15.
   वीरान पथ~
पुत्र शव के पास
  बेसुध माता.....

16.
     भोर कुहासा ~
बुझे अलाव पास
  वृद्ध का लाश......

17.
    गिरी पथ में
नारी का नीला शव~
  साँध्य लालिमा.....

18.
   धान के खेत
उजाड़ी नीलगाय~
  रात्रि पहर.....

19.
   ज्येष्ठ मध्याह्न ~
 ईंटों के बोझ तले
   गर्भवती नारी......

20.
  फाग पूर्णिमा ~
महिला मुख पर
 गोबर छींटे.......

 
   

 




मरे बिना स्वर्ग ना मिलना

 कंधे में लटके थैले को खेत की मेंड मे रख साड़ी के पल्लू को कमर में लपेट उसी में दरांती ठूँस बड़े जतन से उस बूढ़े नीम में चढ़कर उसकी अधसूखी टहनिय...