मंगलवार, 10 मार्च 2020

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों?


Sad moon
 चित्र साभार गूगल से


पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों ?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?
फाग के रंग भी तुमको न भा रहे,
होली हुड़दंग से क्यों जी चुरा रहे ?
धरा के दुख से हो इतने उदास ज्यों !
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

होलिका संग दहन होंगी बुराइयां,
पट भी जायेंगी जातिवाद खाइयां ।
क्रांति इक दिन यहाँ जरूर आयेगी !
यकीं करो धरा फिर मुस्करायेगी !
खो रहे हो चाँद ऐसे आश क्यों.....?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

कोरोना भय से आज विश्व रो रहा,
सनातनी संस्कृति जब से खो रहा ।
सनातन धर्म आज जो अपनायेगा!
कोरोना भय उसे न यूँ सतायेगा।
वैदिक धर्म पे करो विश्वास यों !
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों  ?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?







30 टिप्‍पणियां:

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

मैं जो रचना पोस्ट कर रहा हूँ इसमें कई फिल्मी गाने छिप हैं। गानों के नाम तथा उनके फिल्म के नाम बताने हैं।

होल के हुड़दंग में, पी के भंग मैं
गोरी के गाल से गुलाल चुरा लूँ।
रंग बरसे तो भींगे चुनर वाली
अंग से अंग मैं साजन लगा लूँ।

आज ना छोड़ेंगे हमजोली
खेलेंगे सब मिल होली।
नीला पीला हरा गुलाबी
रंग सभी ले आली रे आली।

जोगी जी धीरे-धीरे, होली खेले रघुवीरा।
कान्हा खेले राधा के संग, रंग बड़ा अलबेला।

बोली गोरी आजा सारे, मल दे गुलाल मोहे।
ओ भोले भोले सूरत वाले, दूँगी पलट गाली तोहे।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विश्वमोहन ने कहा…

अद्भुत और मर्मस्पर्शी मानवीयकरण। बधाई और आभार। होली की सपरिवार शुभकामनायें।

Sudha Devrani ने कहा…

वाह वाह!!!
होली के इतने सारे गाने अलग अलग फिल्मों के...
अच्छा रंग जमाया है आपने...
अनन्त शुभकामनाएं आपको।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आपका रचना साझा करने हेतु....
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय विश्वमोहन जी ! आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करती है
आपको भी होली की अनन्त शुभकामनाएं।
सादर आभार।

Meena Bhardwaj ने कहा…

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों...?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों.....?
बहुत सुन्दर सृजन सुधा जी ।

मन की वीणा ने कहा…

सार्थक चिंतन देती सुंदर आशावादी सृजन चाँद से बातचीत बहुत मनभावन लगी ।
अनुपम।

Sweta sinha ने कहा…

पूनम के चाँद आज तुम उदास क्यों...?
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों.....?
फाग के रंग भी तुमको न भा रहे,
होली हुड़दंग से क्यों जी चुरा रहे ?
धरा के दुख से हो इतने उदास ज्यों !
दुखी दुखी से हो धरा के पास क्यों ?

आपकी लेखनी की विशेषता है यथार्थ वादी चित्रण।
बहुत सुंदर लेखन सुधा जी।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर । होली की। बधाई हो ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर । होली की। बधाई हो ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-03-2020) को    "होलक का शुभ दान"    (चर्चा अंक 3637)    पर भी होगी। 
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
 -- 
रंगों के महापर्व होलिकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन,सुधा दी।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद पम्मी जी मेरी रचना साझा करने हेतु...।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद मीना जी उत्साहवर्धन हेतु।
सस्नेह आभार....।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी उत्साहवर्धन हेतु.....
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ श्वेता जी हृदयतल से धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन हेतु....।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आदरणीय सर!
आपको भी होली की अनन्त शुभकामनाएं।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एव आभार आदरणीय सर!मेरी रचना साझा करने के लिए।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद, ज्योति जी !
सस्नेह आभार आपका।

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर

शुभा ने कहा…

बहुत खूबसूरत सृजध सुधा जी ।होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कविता जी !
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद शुभा जी !
सस्नेह आभार।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शुभकामनाएं होली की जरा सी देर के साथ। सुन्दर रचना।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद जोशी जी !
सादर आभार।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

होली का मज़ा इस बार फीका रहा पर शायद समय यही चाहता था ... करोना का डर जो ज़रूरी भी है या कुछ सर्दी ...
पर आपकी काव्य रस धारा निर्विरोध है ... सुंदर रचना और समय अनुसार ... बहुत बधाई फागुन के रंगों की ...

Sudha Devrani ने कहा…

हदयतल से धन्यवाद नासवा जी !आपका प्रोत्साहन हमेशा प्रेरक होता है....
आपको भी बधाई एवं अत्यन्त आभार।

Jyoti khare ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन
सादर

पढ़ें- कोरोना

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ सर !बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।

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