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दिवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है...
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है
अमा के तमस से सहमा सा जुगनू
टिम-टिम चमकने में कतरा रहा है
दिवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है....।
कितनी अयोध्या जगमग सजी हैं
पर ना कहीं कोई राम आ रहा है
कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं
पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।
कहीं साँस लेना भी मुश्किल हुआ है
सियासत का कोहरा गहरा रहा है
करेंगे तो अपनी ही मन की सभी
पर ढ़ीला हुकूमत का पहरा रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।
बने मुफ्तभोगी सत्ता के लोभी
हराकर मनुज को दनुज जी रहा है
निष्कर्म जीवन चुना स्वार्थी मन
पकड़ रोशनी के वो पंख सी रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है......।