'आइना' समाज का
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwBH6KtSbmP2CJEb30KgRUZYAg6k53RmCphKV00vbih1Y6hAd-w7L6RziqRgzUvsN7q12z0FOwVbVcNYW8G2DwywcTE_6E7u5UupV5ROcY-pRxsRh3atr29J4P51sWrhhyGSiqlXIsbpI7/w200-h83/20-56-01-images.jpg)
प्रस्तुत आलेख कोई कहानी या कल्पना नहीं, अपितु सत्य घटना है । आज मॉर्निंग वॉक पर काफी आगे निकल गयी । सड़क के पास बने स्टॉप की बैंच पर बैठी थोडा सुस्ताने के लिए । तभी सिक्योरिटी गार्ड को किसी पर गुस्सा करते हुए सुना, एक दो लोग भी वहाँ इकट्ठा होने लगे । मैं भी आगे बढी, देखा एक आदमी बीच रोड़ पर लेटा है, नशे की हालत में । गार्ड उसे उठाने की कोशिश कर रहा है,गुस्से के साथ । तभी एक अधेड़ उम्र की महिला ने आकर गार्ड के साथ उस आदमी को उठाया और किनारे ले जाकर गार्ड का शुक्रिया किया । नशेड़ी शायद उस महिला का पति था। थोड़ा आँखें खोलते हुए,महिला के हाथ से खुद को छुड़ाते हुए, लड़खड़़ाती आवाज में चिल्ला कर बोला, "मैं घर नहीं आउँगा"। ओह ! तो जनाब घर के गुस्से में पीकर आये हैं; सोच कर मैने नजरें फेर ली, और फिर वापस वहीं जाकर बैठ गयी, थोड़ी देर बैठने के बाद घर के लिए निकली तो देखा रास्ते मे पुल पर खडी वही महिला गुस्से मे बड़बड़ा रही थी, गला रूँधा हुआ था, चेहरे पर गुस्सा, दु:ख, खीज और चिंता । वह परेशान होकर पुल से नीचे की तरफ देख रही थी, एक हाथ से सिर पर रखे पल्लू को पकडे थी ,जो सुबह की मन