
रात छाई हैघनी, पर कल सुबह होनी नयी,
कर बन्द आँखें , रख सब्र तू ,
मत रो ,मुझे न यूँ सता.......
*चुप सो जा........मेरे मन.......चुप सो जा*.....!!!
तब तक तू चुप सोया ही रह !
जब तक न हो जाये सुबह ;
नींद में सपनों की दुनिया तू सजा .........
*चुप सो जा.........मेरे मन......चुप सो जा*.......!!!
सोना जरुरी है, नयी शुरुआत करनी है ,
भूलकर सारी मुसीबत, आस भरनी है ;
जिन्दगी के खेल फिर-फिर खेलने तू जा.....
*चुप सो जा......मेरे मन........चुप सो जा*............!!!
सोकर जगेगा, तब नया सा प्राण पायेगा ,
जो खो दिया अब तक, उसे भी भूल जायेगा ;
पाकर नया कुछ, फिर पुराना तू यहाँ खो जा.......
*चुप सो जा ..........मेरे मन.........चुप सो जा*........!!!
दस्तूर हैं दुनिया के कुछ, तू भी सीख ले ;
है सुरमई सुबह यहाँ, तो साँझ भी ढ़ले ,
चिलमिलाती धूप है, तो स्याह सी है रात भी....
है तपिश जब दुपहरी,तो छाँव की सौगात भी...
दुःख नरक से लग रहे तो, स्वर्ग भी है जिन्दगी ;
चाह सुख की है तुझे तो ,कर ले तू भी बन्दगी....!
पलकों में उम्मीदों के सपने तू सजा...... ...!
चुप सो जा.......मेरे मन...........चुप सो जा...........!!!
चित्र- "साभार गूगल से"