बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!

   Multiple faces of a single person

       
 रात छाई है घनी, पर कल सुबह होनी नयी,
        कर बन्द आँखें ,  सब्र रख तू ,
            मत रो ,मुझे न यूँ सता !
चुप सो जा !  मेरे मन ! चुप सो जा !!
    
 तब तक तू चुप सोया ही रह !
     जब तक न हो जाये सुबह 
   नींद में सपनों की दुनिया तू सजा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
      
सोना जरुरी है नयी शुरुआत करनी है 
      भूलकर सारी मुसीबत, आस भरनी है 
   जिन्दगी के खेल फिर-फिर खेलने तू जा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
     
सोकर जगेगा तब नया सा प्राण पायेगा 
    जो खो दिया अब तक, उसे भी भूल जायेगा 
   पाकर नया कुछ, फिर पुराना तू यहाँ खो जा
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
    
दस्तूर हैं दुनिया के कुछ वो तू भी सीख ले 
     है सुरमई सुबह यहाँ,  तो साँझ भी ढ़ले 
    चिलमिलाती धूप है तो स्याह सी है रात भी
     है तपिश जब दुपहरी तो छाँव की सौगात भी
    
 दुःख नरक से लग रहे तो स्वर्ग भी है जिन्दगी 
     चाह सुख की है तुझे तो कर ले तू भी बन्दगी !
       पलकों में उम्मीदी भरे सपने सजा !
चुप सो जा ! मेरे मन ! चुप सो जा !!
                                                               
                                  

चित्र- "साभार गूगल  से"




पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर

टिप्पणियाँ

  1. है तपिश जब दुपहरी,तो छाँव की सौगात भी...
    दुःख नरक से लग रहे तो, स्वर्ग भी है जिन्दगी ;
    चाह सुख की है तुझे तो ,कर ले तू भी बन्दगी....!
    पलकों में उम्मीदों के सपने तू सजा...... ...!
    चुप सो जा.......मेरे मन...........चुप सो जा...........!!!
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
    सस्नेह आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. गोपेश मोहन जैसवाल2 अगस्त 2021 को 7:01 am बजे

    नैराश्य के अंधकार को सुलाने वाली और आशा के दीप जलाने वाली बहुत सुन्दर लोरी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद सर! अनमोल प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  4. कितनी सहजता से मन को समझा रही हैं । सच है कि हर रात के बाद सुबह होती है इसी लिए मन को धैर्य रखने के लिए मन को भी सोने के लिए कहा जा रहा है । सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ..
      सादर आभार।

      हटाएं

  5. दस्तूर हैं दुनिया के कुछ, तू भी सीख ले ;
    है सुरमई सुबह यहाँ, तो साँझ भी ढ़ले ,
    चिलमिलाती धूप है, तो स्याह सी है रात भी....
    है तपिश जब दुपहरी,तो छाँव की सौगात भी...
    दुःख नरक से लग रहे तो, स्वर्ग भी है जिन्दगी ;
    चाह सुख की है तुझे तो ,कर ले तू भी बन्दगी....!
    पलकों में उम्मीदों के सपने तू सजा...... ...!
    चुप सो जा.......मेरे मन...........चुप सो जा...........!!!...बहुत ही सुंदर और भावों से सराबोर कविता,इस अंतरा ने तो सभी की जिदंगी को अपने से जोड़ लिया,हर मन के एहसासों की सुंदर लड़ी जैसी कविता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आपको सुधा जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी! सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया द्वारा मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु।

      हटाएं
  6. सोकर जगेगा, तब नया सा प्राण पायेगा ,
    जो खो दिया अब तक, उसे भी भूल जायेगा ;
    पाकर नया कुछ, फिर पुराना तू यहाँ खो जा.......
    *चुप सो जा ..........मेरे मन.........चुप सो जा*........!!! बेहद सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति सखी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूब... मन को छू लिया...��

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  8. बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद मीनू गुप्ता जी !
      ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं

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