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बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

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बहुत समय से बोझिल मन को  इस दीवाली खोला भारी भरकम भरा था उसमें  उम्मीदों का झोला कुछ अपने से कुछ अपनों से  उम्मीदें थी पाली कुछ थी अधूरी, कुछ अनदेखी  कुछ टूटी कुछ खाली बड़े जतन से एक एक को , मैंने आज टटोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला दीप जला करके आवाहन,  माँ लक्ष्मी से बोली मनबक्से में झाँकों तो माँ ! भरी दुखों की झोली क्या न किया सबके हित,  फिर भी क्या है मैने पाया क्यों जीवन में है मंडराता ,  ना-उम्मीदी का साया ? गुमसुम सी गम की गठरी में, हुआ अचानक रोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला प्रकट हुई माँ दिव्य रूप धर,  स्नेहवचन फिर बोली ये कैसा परहित बोलो,  जिसमें उम्मीदी घोली अनपेक्षित मन भाव लिए जो , भला सभी का करते सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति से,  मन की झोली भरते मिले अयाचित सब सुख उनको, मन है जिनका भोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला मैं माँ तुम सब अंश मेरे,  पर मन मजबूत रखो तो नहीं अपेक्षा रखो किसी से,  निज बल स्वयं बनो तो दुख का कारण सदा अपेक्षा,  मन का बोझ बढ़ाती बदले में क्या मिला सोचकर,  ...

पावस के कजरारे बादल

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पावस के कजरारे बादल, जमकर बरसे कारे बादल , उमस धरा की मिटा न पाए, बरस बरस कर हारे बादल । घिरी घटा गहराये बादल, भर भर के जल लाये बादल, तीव्र ताप से तपी धरा पर, मधुर सुधा बरसाये बादल । सूरज से घबराए बादल, चढ़ी धूप छितराए बादल, उमड़-घुमड़ पहुँचे गिरि कानन, घन घट फट पछताए बादल । भली नहीं अतिवृष्टि बादल, करे याचना सृष्टि बादल, कहीं बाढ़ कहीं सूखा क्यों ? समता की रख दृष्टि बादल ! छोड़ भी दो मनमानी बादल, बहुत हुई नादानी बादल, बरसो ऐसा कि सब बोलें, पावस भली सुहानी बादल । पढ़िए बादलों पर आधारित मेरी एक और रचना ●  ये भादो के बादल

हरते सबके कष्ट सदाशिव भोले शंकर

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                         【1】 शंकर भोलेनाथ शिव , नंदीश्वर, भगवान । बाघम्बर भैरव शिवा, शम्भू कृपा निधान । शम्भू कृपा निधान, उमापति बम बम भोले । अवढर दानी नाथ, सभी की किस्मत खोले । जपते नमः शिवाय, भक्त सावन में घर घर  । हरते सबके कष्ट, सदाशिव भोले शंकर  ।।                            【2】 शिवशंकर कैलाशपति , महिमा अपरम्पार । शशिशेखर विरुपाक्ष शिव,जग के पालनहार । जग के पालनहार,  दीन के हैं रखवारे । बम बम भोले घोष, भक्त करते जयकारे । भजे सुधा कर जोरि, नमामि जै गिरिजेश्वर । करो सृष्टि उद्धार, कृपानिधि जै शिवशंकर ।। पढ़िए सावन और शिव भक्ति पर आधारित अन्य कुण्डलिया छंद निम्न लिंक पर । ●  मन में भरे उमंग, मनोहर पावन सावन

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