धन्य-धन्य कोदंड (कुण्डलिया छंद)

💐 विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐 पुरुषोत्तम श्रीराम का, धनुष हुआ कोदंड । शर निकले जब चाप से, करते रोर प्रचंड ।। करते रोर प्रचंड, शत्रुदल थर थर काँपे। सुनकर के टंकार, विकल हो बल को भाँपे ।। कहे सुधा कर जोरि, कर्म निष्काम नरोत्तम । सर्वशक्तिमय राम, मर्यादा पुरुषोत्तम ।। अति गर्वित कोदंड है, सज काँधे श्रीराम । हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम ।। करता शत्रु तमाम, साथ प्रभुजी का पाया । कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया ।। धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति । धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति । सादर अभिनंदन 🙏🙏 पढ़िए प्रभु श्रीराम पर एक और रचना मनहरण घनाक्षरी छंद में ● आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंभली नहीं अतिवृष्टि बादल,
जवाब देंहटाएंकरे याचना सृष्टि बादल,
कहीं बाढ़ कहीं सूखा क्यों ?
समता की रख दृष्टि बादल !
अति सुन्दर !! लाजवाब सृजन सुधा जी !बादलों की मनुहार और समझाइश भरे भाव बहुत अच्छे लगे ।
लाजबाब सृजन
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