गणपति वंदना
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जय जय जय गणराज गजानन गौरी सुत , शंकर नंदन । प्रथम पूज्य तुम मंगलकारी करते हम करबद्ध वंदन । मूस सवारी गजमुखधारी मस्तक सोहे रोली चंदन । भावसुमन अर्पित करते हम हर लो प्रभु जग के क्रंदन । सिद्धि विनायक हे गणनायक विघ्नहरण मंगलकर्ता । एकदंत प्रभु दयावंत तुम करो दया संकटहर्ता । चौदह लोक त्रिभुवन के स्वामी रिद्धि सिद्धि दातार प्रभु ! बुद्धि प्रदाता, देव एकाक्षर भरो बुद्धि भंडार प्रभु ! शिव गिरिजा सुत लम्बोदर प्रभु कोटि-कोटि प्रणाम सदा । श्रीपति श्री अवनीश चतुर्भुज विरजें मन के धाम सदा।