हैलो ! मम्मा! कहाँ हो आप ? फोन क्यों नहीं उठा रहे थे सब ठीक है न ? निक्की ने चिंतित होकर पूछा तो उसकी माँ बोली ; "हाँ बेटा! सब ठीक है। भूल गयी क्या? मैंने बताया तो था कि मैंने ज्यूलरी वापस लॉकअप में रखने जाना है।
ओह! मैं तो भूल गयी मम्मा! और खूब परेशान हुई। पर मैंने आपके मोबाइल पर भी तो कॉल किया था, आपने उठाया क्यों नहीं ?
अच्छा ! ओहो ! साइलेंट था शायद। चल छोड़। बता ! क्या बात है ? और ये आवाजें ? शोरगुल सा...क्या हो रहा है वहाँ पर ?
कुछ नहीं मम्मा ! ये कुछ लड़कियों की वार्डन से बहस हो रही है । दबी आवाज में निक्की ने बताया।
वार्डन से ? पर क्यों ? ये बच्चे भी न !
नहीं मम्मा! यहाँ के रूल्स ही अनोखे हैं, और वार्डन भी स्ट्रिक्ट!
वार्डन तो अपनी ड्यूटी कर रही है बेटा ! ऐसे अपने से बड़ों के मुँह लगना अच्छी बात तो नहीं। वैसे बहस किस बारे में कर रह रहे हैं ये ?
मम्मा यहाँ शाम छः बजे के बाद कोई बाहर नहीं जा सकता । और ये रूल्स सिर्फ गर्ल्स हॉस्टल में हैं ब्वॉयज तो साढ़े नौ तक घूमते रहते हैं बाहर। इसी बात पर बहस चल रही है वार्डन से।
अरे! ये रूल्स भी तुम्हारी ही सेफ्टी के लिए तो बनाए हैं न उन्होंने। कोई बात हुई होगी न वहाँ पर जिसके कारण उन्हें ऐसे रूल्स बनाने पड़े होंगे।तुम सभी को ये बात समझनी चाहिए। हैं न निक्की! (कुछ समझने समझाने की कोशिश में माँ ने कहा)।
हाँ मम्मा समझ ही तो रहे हैं और कर भी क्या सकते हैं। पर, ये ठीक भी तो नहीं है न।
क्यों ठीक नहीं है ? तुम जानते नहीं आजकल लड़कियों की सुरक्षा......
सुरक्षा या सजा ? जो भी है मम्मा! सब जानते हैं और इसी बात का तो अफसोस है... (माँ की बात बीच में ही काटते हुए उसने कहा तो माँ ने पूछा; अफसोस! कैसा अफसोस ?
यही कि बड़े मजबूत लॉकअप और स्ट्रिक्ट रूल्स में रखा जाता है हमारे देश में कीमती ज्यूलरी और लड़कियों को।और फिर गुण्डों और चोर उचक्कों को पूरी छूट के साथ खुला छोड़ दिया जाता है।