गुरुवार, 26 मई 2022

क्रिकेट जैसे खेल अमीरों के चोंचले

 

Construction area

कन्स्ट्रक्शन एरिया में अकरम को देख शर्मा जी ने आवाज लगाई , "अरे अकरम ! बेटा आज तुम ग्राउण्ड में नहीं गये ? वहाँ तुम्हारी टीम हार रही है"।

"नमस्ते अंकल ! नहीं, मैं नहीं गया" । (अकरम ने अनमने से कहा)

तभी बीड़ी सुलगाते हुये कमर में लाल साफा बाँधे एक मजदूर शर्मा जी के सामने आकर बोला, "जी सेठ जी ! क्या काम पड़े अकरम से ? मैं उसका अब्बू" ।

"अरे नहीं भई, काम कुछ नहीं, वो,, मैं इसे क्रिकेट खेलते देखता हूँ । बहुत अच्छा खेलता है ये।  क्या कैच पकड़ता है !  बहुत बढ़िया !  क्रिकेट में आगे बढ़ाओ इसे। खूब खेलने दो। नाम रोशन कर देगा ये लड़का तुम्हारा ! शर्मा जी अकरम की तारीफों के पुल बाँधने लगे।

 बड़ा सा कश भर बीड़ी को पत्थर पे बुझा वापस माचिस की डिबिया में रख,  कमर का साफा खोलकर सिर में बाँधते हुए मजदूर मुस्कुराकर बोला, "हाँ सेठ जी ! कैच तो बढ़िया पकड़े ये ! तभी तो आज से काम पर ले आया इसे ।  वो देखो ! फसक्लास ईंटा कैच कर रिया" ।

पहले माले में खड़ा अकरम बेसमेन्ट से फैंकी ईंटें बड़े अच्छे से कैच कर रहा था, बिल्कुल क्रिकेट बॉल की तरह ।

उसे देखते हुए शर्मा जी बोले ,  "इतने छोटे बच्चे को काम पर ले आये !  खेलने कूदने की उमर में काम ? अरे ! ऐसे काम से क्या फायदा ?  खेलने दो उसे ! वैसे भी अभी तो बच्चा है ये" ।

"बच्चा ना है ये, पूरे चौदह बरस का हो रिया । और ये किरकेट फिरकेट तो अमीरों के चोंचले होवें । भूखा पेट रोटी माँगे, जे नाम से नहीं , काम से मिले है सेठ जी" !  कहते हुए उसने ईंटों का ढ़ेर उठाया और चल दिया ।

शर्मा जी भी अब कुछ कह नहीं पाये, बस कुछ देर तक देखते रहे, नीचे से ऊपर फैंकी ईटों को कैच करते इस होनहार फील्डर या फिर विकेट-कीपर को। जिनके लिए क्रिकेट जैसे खेल अमीरों के चोंचले हैं ।



सोमवार, 23 मई 2022

आत्महत्या : माँ मेरी भी तो सुन लिया करो !

 

suicide story



"माँ !  मैं बहुत परेशान हूँ , आप आ जाओ ना यहाँ मुझे मिलने, मुझे आपसे बात करनी है" ।

"बेटा परेशानियां तो आती जाती रहती हैं जीवन में , इनसे क्या घबराना । और मैं तेरे ससुराल आकर क्या करूँगी ! तेरे ससुराली मुझे देखकर पता नहीं क्या सोचेंगे, कहीं और न चिढ़ जायें ।  वैसे मैंने पंडित जी से तेरी और दामाद जी की कुण्डली दिखाई ।  कुछ ग्रहदोष हैं तो कल ग्रहशांति के लिए जप करवा रही हूँ, तू चिंता न कर ग्रहशांति के बाद सब ठीक हो जायेगा । सब्र से काम ले" ।

"माँ !  मैं जब भी आपसे बात करती हूँ आप पंडित और ग्रहदोष की बातें करने लगते हो , कभी मेरी भी तो सुन लिया करो ना" !   (माँ की बात बीच में काट कर सुषमा ने नाराज होते हुए कहा और फोन रख दिया)


शीला को उसकी बहुत फिक्र थी परन्तु बेटी के घर का मामला है हमारे हस्तक्षेप से बात और ना बिगड़ जाय, यही सोचकर ना चाहते हुए भी टाल रही थी उसे।

अगले दिन शीला ने मंदिर में  ग्रहशांति की पूजा रखवायी और बेटी के घर की सुख-शांति के लिए उपवास रखकर पूजन में बैठी ही थी कि तभी सुषमा का फोन आया ।

"माँ ! मैं बड़ी मुश्किल से इधर-उधर के बहाने बनाकर घर आई तो आप तो घर पर हैं ही नहीं । माँ प्लीज ! थोड़ी देर के लिए जल्दी से आ जाओ फिर मुझे निकलना है"।

"अरे ! कैसे आऊँ ?  मैं तो पूजा में हूँ और पूजा से बीच में उठना अशुभ होता है बेटा ! और सुन, तू आई क्यों ? वहाँ सब इस बात से और भी नाराज हो जायेंगे तुझसे ।   सुषमा बेटा ! समझदारी से काम ले । इससे पहले कि उन्हें शक हो तू अभी का अभी वापस जा !  मैं पूजा के बाद कॉल करूँगी तुझे ।  ठीक है" । कहकर फोन रखकर शीला फिर पूजा में ध्यान लगाने की कोशिश करने लगी ।

पूजन समाप्ति के साथ ही बेटी की जीवन लीला भी समाप्त हो गयी । उसी साँझ सूचना मिली कि तुम्हारी बेटी ने आत्महत्या कर दी। पंखे से लटकी लाश को पुलिस शिनाख्त के लिए ले जा रही है । तुम लोग आना चाहते हो तो जल्दी आ जाओ ।


मंगलवार, 3 मई 2022

लघु कविताएं - सैनर्यु

 

Goat and girls

धार्मिक परम्पराओं एवं रीति रिवाजों पर बने हायकु सैनर्यु कहलाते हैं । हायकु की तरह ही सत्रह वर्णीय इस लघु कविता में तीन पंक्तियों में क्रमशः पाँच, सात, पाँच वर्णों की त्रिपदी में भावों की अभिव्यक्ति होती है।अतः सैनर्यु भी हायकु की तरह एक लघु कविता है जिसमें लघुता ही इसका गुण है और लघुता ही सीमा भी ।

प्राकृतिक बिम्ब एवं कीगो (~) की अनिवार्यता के साथ कुछ सैनर्यु पर मेरा प्रथम प्रयास--

 

【1】

अक्षय तीज~

मूर्ति निकट खत

रखे विद्यार्थी


【2】

ईद का चांद~

बालक मेमने को

गोद में भींचे


【3】

कार्तिक साँझ~

पालकी में तुलसी

बाराती संग


【4】

कार्तिक साँझ~

कदली पात पर

हल्दी अक्षत


【5】

दुर्गा अष्टमी ~

बकरा सिर लेके

मूर्तिपूजक


【6】

विवाहोत्सव~

शीश पे घट लिए

धार पूजन

(धार = पानी का प्राकृतिक स्रोत)





मरे बिना स्वर्ग ना मिलना

 कंधे में लटके थैले को खेत की मेंड मे रख साड़ी के पल्लू को कमर में लपेट उसी में दरांती ठूँस बड़े जतन से उस बूढ़े नीम में चढ़कर उसकी अधसूखी टहनिय...