धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhu7dF-Tc3K78ioNwH5IOfopjhY8qvwxf314hRW0JcvWsj5eqsUxKr0LM-qHEbHQAGAAiig-RQKZ95TvCocu7iFlJiRAJx_1F_EWy5NsDBDHWqD_2xnzCrdFGos8XtkXQeP_v8Yz1IvSp3WyRsKlDAJaXFuwgJ_q2rL_A89AHncg70ex2NAZbCJScuMu93d/w200-h123/1706273209179.jpg)
कुण्डलिया छंद चित्र साभार 'गूगल' से मूरत अद्भुत राम की, श्यामल सुन्दर रुप । स्मित अधर सरसिज नयन,शोभा अतुल अनूप । शोभा अतुल अनूप , वसन पीतांबर सोहे । गल भूषण बनमाल, छवि आलोक मनमोहे । निरखि सुधा सुध भूलि, मनोहर श्यामल सूरत। धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत । ******************** राम विराजे अवधपुरी, मची देश में धूम । राम राम जपते सभी, नाच रहे हैं झूम । नाच रहे हैं झूम, लगी गणतंत्र में झाँकी । राम हि बस देखें सुने, भक्ति राम की आँकी । कहे सुधा सुन मीत,भक्ति का डंका बाजे । कर्म करें निष्काम, हृदय में राम विराजे । पढ़िएभक्ति भाव पर आधारित मनहरण घनाक्षरी छंद में मेरी एक और रचना .. ● प्रभु फिर आइए