मूरत अद्भुत राम की, श्यामल सुन्दर रुप ।
स्मित अधर सरसिज नयन,शोभा अतुल अनूप ।
शोभा अतुल अनूप , वसन पीतांबर सोहे ।
गल भूषण बनमाल, छवि आलोक मनमोहे ।
निरखि सुधा सुध भूलि, मनोहर श्यामल सूरत।
धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत ।
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राम विराजे अवधपुरी, मची देश में धूम ।
राम राम जपते सभी, नाच रहे हैं झूम ।
नाच रहे हैं झूम, लगी गणतंत्र में झाँकी ।
राम हि बस देखें सुने, भक्ति राम की आँकी ।
कहे सुधा सुन मीत,भक्ति का डंका बाजे ।
कर्म करें निष्काम, हृदय में राम विराजे ।
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