बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है

Shree RAm
                             चित्र साभार 'गूगल' से


हर शहर अवध सा सजा हुआ,

हर सदन राम मंदिर है बना ।

हर मन , मन ही मन, राम जपे,

हर रोम रोम में राम बसे ।


देखो तो राममय हवा चली,

सबके उर ऐसी भक्ति जगी ।

जिससे जितना ही बन पाया,

वह रत है राम की भक्ति में ।


कुछ कहते सियासी मुद्दे हैं,

पर किसको लगे ये भद्दे हैं ?

जगमग फिर पूरा देश हुआ,

आज दीप जले हर बस्ती में ।


खुशियों की ऐसी लहर चली,

उत्सुकता सबके हृदय पली ।

शिशिर अचरज स्तब्ध खड़ी,

है जोश भक्ति की शक्ति में ।


पक्ष विपक्ष गर छोड़ दें हम,

सियासत का भ्रम तोड़ दें हम ।

श्रद्धेय नमन उस साधक को

रत अनुष्ठान व्रत भक्ति में ।


आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है ,

आस्था भी कहाँ मन्दिर बिन है ।

पंच शतक की पूर्ण प्रतीक्षा,

हैं जयकारे अब जगती में ।


मूरत श्यामल अति मनभावन,

अभिजीत मुहूर्त द्वादश पावन ।

शुभ मंत्रोच्चार, पौष-उत्सव सा

रमें रामलल्ला की भक्ति में  ।


पढ़िए प्रभु श्रीराम पर कुण्डलिया छंद में मेरी रचना

धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत




 











टिप्पणियाँ

  1. आहा दी अति सुंदर भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
    हर शहर अवथ सा सजा हुआ,
    हर सदन राम मंदिर है बना ।
    हर मन , मन ही मन, राम जपे,
    हर रोम रोम में राम बसे ।
    ---
    जय जय सियाराम।

    जवाब देंहटाएं
  2. भावभक्ति से परिपूर्ण सुंदर रचना, सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना
    जय श्री राम 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. भक्तिभाव से पूरित सुन्दर सृजन सुधा जी !

    जवाब देंहटाएं

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