आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है
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हर शहर अवध सा सजा हुआ,
हर सदन राम मंदिर है बना ।
हर मन , मन ही मन, राम जपे,
हर रोम रोम में राम बसे ।
देखो तो राममय हवा चली,
सबके उर ऐसी भक्ति जगी ।
जिससे जितना ही बन पाया,
वह रत है राम की भक्ति में ।
कुछ कहते सियासी मुद्दे हैं,
पर किसको लगे ये भद्दे हैं ?
जगमग फिर पूरा देश हुआ,
आज दीप जले हर बस्ती में ।
खुशियों की ऐसी लहर चली,
उत्सुकता सबके हृदय पली ।
शिशिर अचरज स्तब्ध खड़ी,
है जोश भक्ति की शक्ति में ।
पक्ष विपक्ष गर छोड़ दें हम,
सियासत का भ्रम तोड़ दें हम ।
श्रद्धेय नमन उस साधक को
रत अनुष्ठान व्रत भक्ति में ।
आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है ,
आस्था भी कहाँ मन्दिर बिन है ।
पंच शतक की पूर्ण प्रतीक्षा,
हैं जयकारे अब जगती में ।
मूरत श्यामल अति मनभावन,
अभिजीत मुहूर्त द्वादश पावन ।
शुभ मंत्रोच्चार, पौष-उत्सव सा
रमें रामलल्ला की भक्ति में ।
पढ़िए प्रभु श्रीराम पर कुण्डलिया छंद में मेरी रचना
धन्य हुए योगिराज, बनाई पावन मूरत
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टिप्पणियाँ
सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर
आहा दी अति सुंदर भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंहर शहर अवथ सा सजा हुआ,
हर सदन राम मंदिर है बना ।
हर मन , मन ही मन, राम जपे,
हर रोम रोम में राम बसे ।
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जय जय सियाराम।
भावभक्ति से परिपूर्ण सुंदर रचना, सुधा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजय श्री राम 🙏🙏
भक्तिभाव से पूरित सुन्दर सृजन सुधा जी !
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