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बधाई शुभकामनाएं

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  आओ लौटें ब्लॉग पर, लेखन सुलेख कर एक दूसरे से फिर, वही मेल भाव हो । पंच लिंक का आनंद,मंच सजे सआनंद हर एक लिंक सार, पढ़ने का चाव हो । सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार स्थापना दिवस आज, पूरा हर ख़्वाव हो । शुभकामना अनेक, मंच फले अतिरेक ऐसे नेक कार्य हेतु, मन से लगाव हो । पंच लिंक की चौपाल, सजे यूँ ही सालों साल बधाई शुभकामना, शुद्ध मन भाव हो । मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर 👇 ब्लॉग से मुलाकात.. बहुत समय के बाद  

....रवि शशि दोनों भाई-भाई.......

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स्कूल की छुट्टियां और बच्चों का आपस में लड़ना झगड़ना..... फिर शिकायत.... बड़ों की डाँट - डपट...... पल में एक हो जाना....अगले ही पल रूठना... माँ का उन्हें अलग-अलग करना... तो एक-दूसरे के पास जाने के दसों बहाने ढूँढ़ना.... न मिल पाने पर एक दूसरे के लिए तड़पना....       तब माँ ने सोचा- -- यही सजा है सही, इसी पर कुछ इनको मैं बताऊँ, दोनोंं फिर न लड़ें आपस में,ऐसा कुछ समझाऊँ... दोनोंं को पास बुलाकर बोली.... आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ एक अजब कहानी, ना कोई था राजा जिसमें ना थी कोई रानी... बच्चे बोले --तो फिर घोड़े हाथी थे...?                  या हम जैसे साथी थे....!! माँ बोली---हाँ ! साथी थे वे तुम जैसे ही                  रोज झगड़ते थे ऐसे ही...... अच्छा!!!... कौन थे वे ?..      .. .."रवि और शशि". .. रवि शशि दोनों भाई-भाई खूब झगड़ते  थे लरिकाई रोज रोज के शिकवे सुनकर तंग आ गयी उनकी माई...... एक कर्मपथ ता पर विपरीत मत झगड़ेंगे यूँ ही तो होगी जगहँसाई ...

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