घर लाकर मैंंने गमले सजाये
मन की तन्हाई को दूर कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......
हवा जब चली तो ये सरसराये
मीठी सी सरगम ज्यों गुनगनाये
सुवासित सुसज्जित सदन कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......
इक रोज मुझको बहुत क्रोध आया
गुस्से में मैंंने इनको बहुत कुछ सुनाया।
न रूठे न टूटे मुझपे, स्वस्यचित्त रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये........
खुशी में मेरी ये भी खुशियाँँ मनाते
खिला फूल तितली भौंरे सभी को बुलाते
उदासीन मन उल्लासित कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......
मुसीबतों में जब मैंने मन उलझाया
मेरे गुलाब ने प्यारा पुष्प तब खिलाया
आशान्वित मन मेरा कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये........
धूल भरी आँधी या तूफान आये
घर के बड़ों सा पहले ये ही टकरायेंं
घर-आँगन सुरक्षित कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.....
चित्र साभार गूगल से...
सुवासित सुसज्जित सदन कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......
इक रोज मुझको बहुत क्रोध आया
गुस्से में मैंंने इनको बहुत कुछ सुनाया।
न रूठे न टूटे मुझपे, स्वस्यचित्त रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये........
खुशी में मेरी ये भी खुशियाँँ मनाते
खिला फूल तितली भौंरे सभी को बुलाते
उदासीन मन उल्लासित कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.......
मुसीबतों में जब मैंने मन उलझाया
मेरे गुलाब ने प्यारा पुष्प तब खिलाया
आशान्वित मन मेरा कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये........
धूल भरी आँधी या तूफान आये
घर के बड़ों सा पहले ये ही टकरायेंं
घर-आँगन सुरक्षित कर रहे ये
अपनों के जैसे अपने लगे ये.....
चित्र साभार गूगल से...