रविवार, 22 अगस्त 2021

रक्षाबंधन

 

rakhi

चित्र साभार  pixabay से...

क्षाबंधन के दिन हमेशा की तरह आरती की थाल में दो राखियाँ देख शौर्य ने इस बार माँ से पूछा, 

"मम्मी! सबके घर में सिर्फ़ बहन ही भाई को राखी बाँधती है और हमने फिल्मों में भी यही देखा है न।

फिर आप ही क्यों मुझसे भी दीदी को राखी बँधवाती हो" ?  तो माँ बोली, 

"बेटा जानते हो न ये रक्षा बंधन है और इसका मतलब"...

"हाँ हाँ जानता हूँ रक्षा करने का प्रॉमिस है रक्षा बंधन का मतलब ,  पर दीदी इतनी सुकड़ी सी... ये भला मेरी रक्षा कैसे करेगी ? मम्मी !

रक्षा तो मैं इसकी करुँगा बड़े होकर। पड़ौस वाले भैय्या की तरह एकदम बॉडी बिल्डर बनकर...। 

इसीलिए मम्मी! अब से सिर्फ दीदी ही मुझे राखी बाँधेगी मैं उसे नही" ।    माँ की बात बीच में ही काटकर शौर्य बड़े उत्साह से बोला तो माँ ने मुस्कराकर कहा , "मेरे बॉडी बिल्डर ! तू तो बड़ा होकर उसकी रक्षा करेगा, पर वो तो तेरे बचपन से ही तेरी रक्षा कर रही है"।

"मेरी रक्षा और दीदी !   वो कैसे मम्मी"!  शौर्य ने पूछा तो माँ बोली, बच्चे जब तू बहुत नन्हा सा था न , तो तेरे सो जाने पर मैं अपने काम निबटाने चली जाती पर तू पता नहीं कब खिसककर बैड से गिरने को हो जाता तब तेरी दीदी तुझे अपने नन्हे हाथों से थामकर मुझे आवाज देकर बुलाती और तुझे गिरने से बचाकर तेरी रक्षा करती थी" ।

"हैं मम्मी ! सच्ची में ऐसा होता था ! शौर्य ने बड़े आश्चर्य से पूछा तो माँ बोली , "हाँ बिल्कुल! और तब से अभी तक तुझे मालूम नहीं वो कितनी बार तेरी रक्षा करती है

जब तू कोई बदमाशी या शरारत करता है तो हमारी डाँट से तुझे कौन बचाता है ? 

हमारी अनुपस्थिति में हमारे मना करने के बाबजूद भी तू टीवी देखता है न और कम्प्यूटर गेम भी खेलता है तब जानकर भी उस बात को छुपाकर तुझे सजा मिलने  से कौन बचाता है ? 

अपने हिस्से के चिप्स कुरकुरे और टॉफी कौन देता है तुझे?   और तो और तेरा छूटा हुआ होमवर्क भी तेरी ही हैंड राइटिंग में जल्दी-जल्दी निबटाकर तुझे तेरे दोस्तों के साथ समय पर खेलने जाने में कौन मदद करता है तेरी?

"ओहो ! तो मम्मी ! तो आपको ये सब भी पता है ?  हाँ मम्मी ! सच्ची में दीदी तो मेरी बहुत मदद करती है"।

"तो बेटा यही तो है रक्षा !    जो तुम दोनों को हमेशा एक दूसरे की करनी है तो प्रॉमिस भी दोनों को ही करना होगा न....।

रक्षा सिर्फ भाई ही करे बहन की ये जरूरी नहीं,  बहने भी भाई की रक्षा करती हैं चाहे पास हों या दूर , हमेशा भाई के साथ होती हैं उसका मानसिक सम्बल बनकर। हर वक्त भगवान से उसकी खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।

इसीलिए  बेटा तुम दोनों ही एक दूसरे को ये रक्षा सूत्र बाँधकर हमेशा एक दूसरे की रक्षा करने एवं साथ देने का प्रॉमिस करोगे"।

"हाँ मम्मी ! हम दोनों ही हमेशा की तरह  एक - दूसरे को राखी  बाँधेंगे !  और  प्रॉमिस करेंगे कि हम हमेशा एक-दूसरे का साथ देंगे और एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।

आओ न दीदी ! इस बार तो मैं आपको दो राखी बाधूँगा शौर्य ने कहा तो उसकी दीदी बोली चाहे तो चार बाँध ले भाई पर गिप्ट एक ही मिलेगा... हैं न मम्मी ! 

और सब खिलखिला कर हँस पड़े।


रक्षाबंधन पर मेरी एक कविता

जरा अलग सा अबकी मैंने राखी पर्व मनाया


शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

उफ्फ ! ये बच्चे भी न.. ...



pomegranateseeds


माँ--बिन्नी तुमने अभी तक फल नहीं खाये ? चिप्स कुरकुरे तो फट से चटकारे ले लेकर खाते हो और फलों के लिए नाक-मुँह सिकोड़ते हो ।  अरे कम से कम ये अनार के दाने तो खा लिये होते !                           क्या होगा तुम्हारा ?   पौष्टिकता कहाँ से आयेगी शरीर में ? आ इधर आ मेरे सामने !  और ये सारे फल खाकर खत्म कर !

बिन्नी--   माँ ! मन नहीं हैं फल खाने का........और ये अनार ! ये मुझे क्या पौष्टिक बनायेंगे , देखो न माँ! इन्हें तो खुद ही हीमोग्लोबिन की जरुरत है ।....

मुट्ठी भर अनार उठा कुछ खाती कुछ गिराती बिन्नी वहाँ से खिसक ली।

माँ ने अनार के सफेद दानों को गौर से देखा और बुदबुदाते हुए बोली सच में हीमोग्लोबिन की जरूरत तो है इन्हें.....और हँसी रोक न पायी।



घी सीधी उँगली से न निकले तो......

धड़ाम की आवाज सुनकर पल्लवी हड़बड़ाकर भागते हुए सासू माँ के कमरे में पहुँची तो वहाँ का नजारा देखकर दंग रह गयी... टॉफियों का डिब्बा फर्श में ओंधा गिरा है और तनु और मनु (उसके बेटे)  लपक लपक कर कमरे में बिखरी टॉफियां उठाकर अपनी जेब भर रहे हैं....।

ये क्या है तनु मनु ? ये डिब्बा क्यों गिराया तुमने ?टॉफी चाहिए थी तो माँग भी तो सकते थे न ? पल्लवी ने सख्त लहजे में फटकार लगाई तो दोनों बड़ी मासूमियत से बोले माँगते तो बस दो - दो टॉफी मिलती न मम्मा ! पर हमें ज्यादा चाहिए थी।

दो- दो टॉफी कम हैं क्या?...और ज्यादा पाने के लिए पूरा डिब्बा ही उलट दिया तुमने ?  क्यों ...?   गुस्से से तिलमिलाते हुए उसने पूछा।

 हाँ मम्मा ! आज दादी ने कहा न सुबह जब घी सीधी उँगली से न निकले तो....तो  डिब्बा उल्टा करना पड़ता है।

 डिब्बा उल्टा ?..... अरे !  ऐसा कब कहा दादी ने ? दादी ने तो ये  कहा कि उँगली टेढ़ी करनी पड़ती है....।

पर उँगली क्यों टेढ़ी करनी मम्मा ..?    हमने तो डिब्बा ही उलट दिया...एक दूसरे के हाथ से ताली बजा दोनों  खिलखिलाते हुए वहाँ से फरार हो गये और पल्लवी मुहावरे मे ही उलझी रह गयी।

बुधवार, 11 अगस्त 2021

वक्त यही अब बोल रहा है

Eveningsky


कर ले जो भी करना चाहे

वक्त यही अब बोल रहा है

देख बुढ़ापा बैठ कनपटी 

पोल उम्र की खोल रहा है


जान ले अन्तर्मन में जाकर

क्यों तूने ये जीवन पाया

क्या करना बाकी था तुझको

जो फिर फिर धरती में आया

आधे-अधूरे मकसद तेरे

चित्त चितेरा डोल रहा है

कर ले जो भी करना चाहे

वक्त यही अब बोल रहा है


माँगा तूने ही ये सबकुछ

जिसपे धड़ीभर अश्रु बहाता

कर्मों के लेखे-जोखे से

सुख-दुख का है गहरा नाता

और किसी को वजह बनाकर

मन में जहर क्यों घोल रहा है

कर ले जो भी करना चाहे

वक्त यही अब बोल रहा है


साँझ सुरमयी हो जीवन की

तो सूरज सा तपता जा

भव कष्टों से जीव मुक्त हो

दुष्कर सत्पथ पे बढ़ता जा

कर अनुवर्तन उन कदमों का

जिनका जीवन मोल रहा है

कर ले जो भी करना चाहे

वक्त यही अब बोल रहा है


देख बुढ़ापा बैठ कनपटी 

पोल उम्र की खोल रहा है।।


सोमवार, 2 अगस्त 2021

सच्चा दोस्त


Twofriends

"मम्मा ! आज मैं बाहर खेलने नहीं जाउँगा, क्या मैं टीवी देख लूँ" ?

"नहीं बेटा ! ये समय बाहर खेलने का है और देखो ! तुम्हारा बैस्ट फ्रेंड सौरव भी तुम्हारा इंतजार कर रहा है , जाओ बाहर खेल आओ" !

"नहीं मम्मा! मुझे सौरव के साथ नहीं खेलना, अब वो मेरा बैस्ट फ्रेंड नहीं है,  क्योंकि उसने मुझे क्लास में टीचर से डाँट खिलाई । क्या कोई बैस्ट फ्रेंड ऐसा करता है ? बोलो न मम्मा" !...?

"हम्म्म! बात तो सही है, पर उसने तुम्हें डाँट क्यों खिलाई" ?   माँ ने मामला समझने की कोशिश में पूछा तो विक्की बोला ; "मम्मा ! एक नहीं दो दो बार डाँट खिलाई उसने मुझे, अब मैं आपको क्या-क्या बताऊँ" विक्की रुँआसा हो गया...।

"सब बता दो मैं सुन रही हूँ" कहकर माँ ने उसका सिर सहलाया तो विक्की बहुत बढ़ा चढ़ा कर बोला;

"आज मैंने एक नया फ्रेंड बनाया , हम दोनों क्लास में बहुत धीमे से बातें कर रहे थे, मैम को तो पता भी नहीं चलता मम्मा पर इसने मैम को बता दिया और फिर हमें मैम ने डाँटा और अलग-अलग भी बिठा दिया...बहुत गंदा है सौरव" ....।

"वैसे क्लास में बात करना कोई अच्छी बात तो नहीं खासकर तब जब टीचर पढ़ा रही हों।  हैं न विक्की"! माँ बोली तो विक्की कुछ हिचकिचाया पर तुरन्त सफाई देते हुए बोला , "नो मम्मा ! टीचर कुछ खास पढ़ा नहीं रही  थी , ये सौरव न मेरी नयी दोस्ती से जैलस था बस इसीलिए"... 

और दूसरी कौन सी बात पर डाँट खिलाई ? माँ ने पूछा तो विक्की बोला; मम्मा वो मैं गलती से अपनी सोशल स्टडी की बुक ले जाना भूल गया, पर मैंने बड़ी चालाकी से साइंस की बुक आधी खोलकर पढ़ने का नाटक किया मैम को पता भी न चलता मम्मा अगर सौरव नहीं बताता...फिर मैम ने डाँटा और सौरव के साथ बुक शेयर करने को कहा।

"और आपको साइंस की बुक में सोशल स्टडी समझ आ रही थी"  ?  माँ ने पूछा तो विक्की बोला ; "मम्मा मैं घर आकर स्टडी कर लेता न । पता भी है पूरी क्लास के सामने डाँट खाना कितना बुरा लगता है... सब सौरव की वजह से...गंदा कहीं का "।  कहकर विक्की ने मुँह फुला लिया। 

पूरा मामला समझकर माँ ने  विक्की को प्यार से समझाते हुए कहा "बेटा ! अच्छा और सच्चा दोस्त वही है जो तुम्हें गलती करने से रोके और परेशानी में तुम्हारा साथ दे" ।

"पर मम्मा उसकी वजह से मुझे बहुत बुरा लगा मैं उसके साथ नहीं खेलूँगा आज से वो मेरा दोस्त नहीं है" कहकर विक्की टीवी देखने चला गया...और माँ ने भी बात को समय पर छोड़ दिया।

अगले ही दिन स्कूल से आते हुए विक्की और सौरव एक दूसरे के साथ थे घर आकर विक्की बोला मम्मा ! आप सही कह रहे थे विक्की ही मेरा बैस्ट फ्रेंड है।

"अच्छा! वो कैसे" ?  माँ ने आश्चर्यचकित होकर पूछा तो विक्की बोला  "हाँ मम्मा! आज क्लास में जब ऑन्सर न दे पाने पर सब लूजर कहकर मुझ पर हँसे तो  सौरव ने उन्हें डाँटा और मेरा साथ दिया, तब मुझे आपकी बतायी हुई बात भी समझ आ गयी।

 "मम्मा ! सौरव ही मेरा सच्चा और अच्छा दोस्त है अब मैं भी उसी की तरह बनूँगा... अपने दोस्तों का हमेशा साथ देते हुए उन्हें गलतियाँ करने से भी रोकूंगा"।


        चित्र, साभार piixabay.com से

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हो सके तो समभाव रहें

जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये ।  कभी किनारे की चाहना ही न की ।  बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को ,  पर रुके नहीं कहीं, ब...