रक्षाबंधन के दिन हमेशा की तरह आरती की थाल में दो राखियाँ देख शौर्य ने इस बार माँ से पूछा,
"मम्मी! सबके घर में सिर्फ़ बहन ही भाई को राखी बाँधती है और हमने फिल्मों में भी यही देखा है न।
फिर आप ही क्यों मुझसे भी दीदी को राखी बँधवाती हो" ? तो माँ बोली,
"बेटा जानते हो न ये रक्षा बंधन है और इसका मतलब"...
"हाँ हाँ जानता हूँ रक्षा करने का प्रॉमिस है रक्षा बंधन का मतलब , पर दीदी इतनी सुकड़ी सी... ये भला मेरी रक्षा कैसे करेगी ? मम्मी !
रक्षा तो मैं इसकी करुँगा बड़े होकर। पड़ौस वाले भैय्या की तरह एकदम बॉडी बिल्डर बनकर...।
इसीलिए मम्मी! अब से सिर्फ दीदी ही मुझे राखी बाँधेगी मैं उसे नही" । माँ की बात बीच में ही काटकर शौर्य बड़े उत्साह से बोला तो माँ ने मुस्कराकर कहा , "मेरे बॉडी बिल्डर ! तू तो बड़ा होकर उसकी रक्षा करेगा, पर वो तो तेरे बचपन से ही तेरी रक्षा कर रही है"।
"मेरी रक्षा और दीदी ! वो कैसे मम्मी"! शौर्य ने पूछा तो माँ बोली, बच्चे जब तू बहुत नन्हा सा था न , तो तेरे सो जाने पर मैं अपने काम निबटाने चली जाती पर तू पता नहीं कब खिसककर बैड से गिरने को हो जाता तब तेरी दीदी तुझे अपने नन्हे हाथों से थामकर मुझे आवाज देकर बुलाती और तुझे गिरने से बचाकर तेरी रक्षा करती थी" ।
"हैं मम्मी ! सच्ची में ऐसा होता था ! शौर्य ने बड़े आश्चर्य से पूछा तो माँ बोली , "हाँ बिल्कुल! और तब से अभी तक तुझे मालूम नहीं वो कितनी बार तेरी रक्षा करती है
जब तू कोई बदमाशी या शरारत करता है तो हमारी डाँट से तुझे कौन बचाता है ?
हमारी अनुपस्थिति में हमारे मना करने के बाबजूद भी तू टीवी देखता है न और कम्प्यूटर गेम भी खेलता है तब जानकर भी उस बात को छुपाकर तुझे सजा मिलने से कौन बचाता है ?
अपने हिस्से के चिप्स कुरकुरे और टॉफी कौन देता है तुझे? और तो और तेरा छूटा हुआ होमवर्क भी तेरी ही हैंड राइटिंग में जल्दी-जल्दी निबटाकर तुझे तेरे दोस्तों के साथ समय पर खेलने जाने में कौन मदद करता है तेरी?
"ओहो ! तो मम्मी ! तो आपको ये सब भी पता है ? हाँ मम्मी ! सच्ची में दीदी तो मेरी बहुत मदद करती है"।
"तो बेटा यही तो है रक्षा ! जो तुम दोनों को हमेशा एक दूसरे की करनी है तो प्रॉमिस भी दोनों को ही करना होगा न....।
रक्षा सिर्फ भाई ही करे बहन की ये जरूरी नहीं, बहने भी भाई की रक्षा करती हैं चाहे पास हों या दूर , हमेशा भाई के साथ होती हैं उसका मानसिक सम्बल बनकर। हर वक्त भगवान से उसकी खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।
इसीलिए बेटा तुम दोनों ही एक दूसरे को ये रक्षा सूत्र बाँधकर हमेशा एक दूसरे की रक्षा करने एवं साथ देने का प्रॉमिस करोगे"।
"हाँ मम्मी ! हम दोनों ही हमेशा की तरह एक - दूसरे को राखी बाँधेंगे ! और प्रॉमिस करेंगे कि हम हमेशा एक-दूसरे का साथ देंगे और एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।
आओ न दीदी ! इस बार तो मैं आपको दो राखी बाधूँगा शौर्य ने कहा तो उसकी दीदी बोली चाहे तो चार बाँध ले भाई पर गिप्ट एक ही मिलेगा... हैं न मम्मी !
और सब खिलखिला कर हँस पड़े।