सफर ख्वाहिशों का थमा धीरे -धीरे
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjURrvxCXbZf_eSXEHEbQAiHkGsN_0MIiKLGpHpRJj6r-2vKVgGZ9fNBIKHFOg7ojH88AXf_3OoOxOjyPrtQFRbApQdiQR57mcWYcZ8hFkH1ocVBO6PN8L2p3ZR9pMCiGJ7IkuLWciZOKaxgIb_YLOYD-XS-1m1bYRhuhhgdXaoEUVwEN6-6sMeMR_sZQ/w200-h104/1682339821990.jpg)
मौसम बदलने लगा धीरे-धीरे जगा आँख मलने लगा धीरे-धीरे । जमाना जो आगे बहुत दूर निकला रुका , साथ चलने लगा धीरे - धीरे। हुआ चाँद रोशन खिली सी निशा है कि बादल जो छँटने लगा धीरे-धीरे । खुशी मंजिलों की मनायें या मानें सफर ख्वाहिशों का थमा धीरे -धीरे। अवचेतन में आशा का दीपक जला तो मुकद्दर बदलने लगा धीरे-धीरे । हवा मन - मुआफिक सी बहने लगी है मन में विश्वास ऐसा जगा धीरे -धीरे । अनावृत हुआ सच भले देर से ही लगा टूटने अब भरम धीरे-धीरे । पढ़िए एक और रचना इसी ब्लॉग पर जिसमें अपना भला है, बस वो होना है