गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

लो ! मैं तो फिर वहीं आ गयी

 

Books

"क्या होगा इसका ? बस खाना खेलना और सोना । इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जीवन में बेटा !  कम से कम पढ़ाई-लिखाई तो कर ले । आजकल कलम का जमाना है । चल बाकी कुछ काम-काज नहीं भी सीखती तो कलम चलाना तो सीख !  बिना पढ़े -लिखे क्या करेंगी इस दुनिया में, बता ?... पढेगी-लिखेगी तभी तो सीखेगी दुनियादारी" !


घर के बड़े जब देखो तब टोकते इसी तरह । सुन सुन कर पक गयी भावना। आखिर झक मारकर पढ़ने में मन लगाने लगी । और बन गयी एक पढ़ाकू लड़की।अपनी कक्षा में सबसे अब्बल ।

चार दिन की खुशी ! फिर वही... "अरे ! पढ़ती तो है । बस पढ़ती ही तो है ! अब बन भी जाये कुछ तो माने । नहीं तो सम्भालेगी फिर चौका चूल्हा !... और वो सीखना तो दूर देखा भी ना है इसने । क्या होगा इस छोरी का" ?..


सबको लगता भावना किसी की नहीं सुनती बस अपने में ही मस्त मौला है । पर वो थी ठीक इसके उलट । बहुत ही संवेदनशील, और अन्तर्मुखी। साथ ही  सबकी सुनकर सबके मुताबिक कुछ करने की ठानने वाली । पर ना जताना और ना ही कुछ बताना।


फिर ठान ली उसने तो बन गई शिक्षिका ! परन्तु पढ़ते-पढ़ते पढ़ने की ऐसी लत लगी उसे कि बिना पढ़े तो सो भी ना पाती । इधर घर वाले सोचते अब तो पढ़ लिख गयी, जो बनना था बन भी गयी, अब किस बात की पढ़ाई  ? अब पढ़ाई - लिखाई खतम तो फिर ये किताबों का ढ़ेर क्यों ?


और फिर एक दिन कबाड़ी वाले को बुला कर करने लगे सौदा उसकी किताबों का । शुक्र है कि तभी आना हो गया उसका और बामुश्किल बचाई उसने अपनी धरोहरें ।


परन्तु आश्चर्यचकित थी सुन - सुनकर  कि "अब जो बनना था बन गई न !  फिर अब क्या पढ़ना ? ऐसे क्या किताबी कीड़ा बनी घुसी रहती है हर समय किताबों में ! ऐसे कैसे चलेगी इसकी जिंदगी ? बाहर निकल अब इन किताबों से , और सीख ले थोड़ा दुनियादारी ! अरे कुछ नहीं तो सो ही जाया कर थोड़ा ! दिमाग को चैन तो मिलेगा !

भावना  सिर थाम कर मन ही मन बुदबुदायी, "लो ! मैं त़ो फिर वहीं आ गई ! हे भगवान ! बड़ी अजीब है तेरी दुनिया और ये दुनियादारी !




23 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

सचमुच दुनिया को किसी बात में चैन नहीं।
सच उकेरती अनेक तथ्य समेटे सुंदर संदेशप्रद लघुकथा दी।
सस्नेह।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

अजूबा है दुनिया

Meena Bhardwaj ने कहा…

दुनियादारी का मायाजाल कभी सीखाता है कभी उलझाता है । भावना के चिंतन के माध्यम से बहुत सुन्दर संदेश देता बेहतरीन सृजन सुधा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद प्रिय श्वेता ! सृजन को सार्थक करती प्रतिक्रिया के साथ ही प्रतिष्ठित मंच प्रदान न करने हेतु।
सस्नेह आभार ।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सादर आभार एवं धन्यवाद आपका ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार मीनाजी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

😆😆😆 लो जी आज तक हम भी वहीं बैठे है ।
वो शेर याद आ रहा ....

सुबह होती है शाम होती है
ज़िन्दगी यूँ ही तमाम होती है ।

बेचारी भावना

yashoda Agrawal ने कहा…

अच्छा लगा
आभार
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

जी, आप कहाँ वहीं बैठे हैं , सुना है घूमने गये थे ! 😄😄
शेर तो लाजवाब है👌👌
सादर आभार एवं धन्यवाद आपका ।
🙏🙏🙏🙏

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद जवं आभार आपका ।

रेणु ने कहा…

एक बहुत ही प्रासंगिक विषय की ओर ध्यान इंगित करती कथा के विषय में क्या कहूँ?? इस स्थिति से अमूमन हर लड़की का सामना होता है।उसका शौक दुनिया की नजरों में समय की बर्बादी है पढ़ने का अर्थ अच्छी जगह शादी और नौकरी मानने वालों की कमी ना घर में है ना समाज में।और पुस्तक प्रेम के कारण मुझे भी बहुत बार इन प्रश्नों को झेलना पड़ा कि किताबें पढने से होगा क्या?? संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती लघुकथा के लिए बधाई आपको।

Sudha Devrani ने कहा…

जी, रेणु जी ! तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका रचना का सार स्पष्ट करती सार्थक प्रतिक्रिया हेतु ।

MANOJ KAYAL ने कहा…

सार्थक एवं चिंतनपरक संदेश लेख

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (9-4-23} को "हमारा वैदिक गणित"(चर्चा अंक 4654) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! मेरी रचना चर्चा मंच पर चयन करने हेतु ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

आम जीवन का बहुत ही जरूरी संदर्भ।
कितनी सरलता से आपकी कलम ने बेटियों की स्थिति को उजागर किया, आप बधाई की पात्र हैं।
गहन अवलोकन और चिंतन के उपरांत निकली कहानी।

Ajay ने कहा…

अदभुत, आपके द्वारा दी गई जानकारी अद्भुत है मुझे यह ने काफी पसंद आया। iplhub

Vijay ने कहा…

आपका शेर वाकई काफी अच्छा है और बस जीवन में सब के यही चल रहा है । juwa

Raju ने कहा…

आपकी कविता मुझे काफी अच्छी लगी ।

Rahul Gandhi ने कहा…

आप तो अच्छी शेरो, शायरी कर लेते है ।

सोनिया गांधी ने कहा…

आपका कॉमेंट कम शब्दों के काफी गहरी बाते बता रहा है । juwa iplhub

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया हूं ।

हो सके तो समभाव रहें

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