शिक्षक दिवस (दोहे)

चित्र
    🙏सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम 🙏 💐शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐 शिक्षक शिक्षा दे रहे, गुरु देते हैं ज्ञान । शिक्षा के उत्थान से, ज्ञानी बने महान ।। शिक्षक पुंज प्रकाश के, गुरु दिखलाते राह । विश्वजीत बनते वही, अंतर मिलती थाह ।। सद्गुरु का ले आसरा , पायें अंतर ज्ञान । अनुशासित जीवन जिएं, मिले तभी सम्मान ।। शिक्षक भी संज्ञान लें, डिजिटल युग है आज । पोथी अब लिखते नहीं ,कम्प्यूटर पर काज ।। शिक्षक भी संज्ञान लें , बड़े चतुर हैं छात्र । अनुशासित जीवन करें, केवल शिक्षण मात्र ।। सादर आभार आपका 🙏 पढ़िए गुरु की महिमा पर आधारित एक और रचना ●  ज्ञान के भंडार गुरुवर

बी पॉजिटिव

 

be positive

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?  

कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । 

वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।

 

माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।  

फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख न बेटा ! ये धूल ये नैगेटिविटी इस पौधे पर कैसी चिपकी है न, बिल्कुल तेरे उस नेगेटिव एनवायरनमेंट सी ! और पानी की फुहार संग ये सारी धूल पौधे की पत्तियों से उसी की जड़ों में जा रही है, है न ! तो क्या इस धूल से ये पौधे भी धूल बन जायेंगे"?

अंकुर कुछ समझने की कोशिश ही कर रहा था कि पौधे की पत्तियाँ स्प्रे से नहा धोकर चमक उठी ।

अंकुर की बुझी आँखों में भी चमक लौट आई । वह बोला, "माँ ये धूल तो इस पौधे के लिए जैसे खाद बन गयी ! है न ?

"वही तो बेटा ! अब समझा मेरा बी पॉजिटिव" ? 

"हाँ मम्मा ! अब अच्छे से समझ गया एण्ड आइ विल ऑलवेज थिंक पॉजिटिवली" !



पढ़िए एक और लघुकथा निम्न लिंक पर

● उफ्फ ! ये बच्चे भी न

टिप्पणियाँ


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 अप्रैल को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहहह
    सुंदर चिंतन
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! माँ ऐसी ही होती है जो हर निराशा को आशा में बदल दे

    जवाब देंहटाएं
  4. सकारात्मक भाव .., कितना सहज संदेश!! मन को छू गई प्रेरणादायक लघुकथा ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण हृदयस्पर्शी लघु कथा

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं