बीती ताहि बिसार दे

स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं। पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं । परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे । ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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जवाब देंहटाएंगृहस्थ जीवन के सार तत्व का आकलन करता अत्यंत सुन्दर सृजन ॥
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी !
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एव आभार आ.ओंकार जी !
हटाएंवाह :)
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी !
हटाएंजी आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से लेखनी के माध्यम से सत्य कहा है विचारों का मिलना जीवन में बहुत मायने रखता है ।
जवाब देंहटाएंजी, मधुलिका जी !अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
हटाएंवर्तमान परिदृश्य को दर्शाती सुन्दर प्रस्तुती.
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार रितु जी !
हटाएंप्रगतिशील विचार !
जवाब देंहटाएंकुण्डली मिलाना, गृह मिलाना आदि सर्वथा अवैज्ञानिक है और पंडितों की धूर्त कमाई का साधन है.
आज के युग में अरेंज्ड मैरिज की भी कोई उपयोगिता नहीं रह गयी है.
लड़का-लड़की एक-दूसरे को पहले कुछ जानें, कुछ समझें, अपने दम पर घर-गृहस्थी चलाने लायक बनें, तभी उनकी शादी करने की बात होनी चाहिए.
जी, आ. सर ! आपका हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद । आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ।
हटाएंसादर नमन 🙏🙏🙏🙏