रविवार, 17 सितंबर 2023

मिला कुण्डली ब्याहते

Arranged marriage dohe


मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।

अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।

कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ता हाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार ।

जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।


कुछ इकतरफा प्रेम से, सींचे निज संसार ।

साथी से मिलता नहीं, इक कतरा भी प्यार ।


कुछ को बिछड़े प्रेम का, गहराया उन्माद ।

जीवन आगे बढ़ रहा, ठहरे यादों साथ।


साथी में ढूँढ़े सदा, अपना वाला प्यार।

गुण उसके दिखते नहीं, करते व्यर्थ प्रहार ।


अनदेखा कर आज को, बीती का कर ध्यान ।

सुख समृद्धि विहीन ये, जीवन नरक समान ।




10 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

Meena Bhardwaj ने कहा…


गृहस्थ जीवन के सार तत्व का आकलन करता अत्यंत सुन्दर सृजन ॥

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय आभार एवं धन्यवाद आपका मेरी रचना चयन करने के लिए।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना जी !

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह :)

Madhulika Patel ने कहा…

जी आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से लेखनी के माध्यम से सत्य कहा है विचारों का मिलना जीवन में बहुत मायने रखता है ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एव आभार आ.ओंकार जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी !

Sudha Devrani ने कहा…

जी, मधुलिका जी !अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।

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