गणपति वंदना
जय जय जय गणराज गजानन
गौरी सुत , शंकर नंदन ।
प्रथम पूज्य तुम मंगलकारी
करते हम करबद्ध वंदन ।
मूस सवारी गजमुखधारी
मस्तक सोहे रोली चंदन ।
भावसुमन अर्पित करते हम
हर लो प्रभु जग के क्रंदन ।
सिद्धि विनायक हे गणनायक
विघ्नहरण मंगलकर्ता ।
एकदंत प्रभु दयावंत तुम
करो दया संकटहर्ता ।
चौदह लोक त्रिभुवन के स्वामी
रिद्धि सिद्धि दातार प्रभु !
बुद्धि प्रदाता, देव एकाक्षर
भरो बुद्धि भंडार प्रभु !
शिव गिरिजा सुत लम्बोदर प्रभु
कोटि-कोटि प्रणाम सदा ।
श्रीपति श्री अवनीश चतुर्भुज
विरजें मन के धाम सदा।
बहुत सुंदर प्रार्थना दी।
जवाब देंहटाएंजय हो श्री गणेशा देवा...।
सस्नेह प्रणाम दी।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २६ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जय जय गणपति जगवंदन | सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंजय जय हे गणपति गणनायक
जवाब देंहटाएंजय हो गणपति बप्पा की … भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंगणपति बप्पा के वंदन हेतु सुंदर भाव और शब्दों का उपहार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव भगवान गणपति हमारे धाम विराजें यही उनसे विनती, प्रार्थना। जय गणपति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भक्तिमय,
जवाब देंहटाएंगणपति वन्दना बहुत सुन्दर और संग्रहणीय है सुधा जी ! गणपति बप्पा अपनी कृपा सब पर बनाये रखें ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंजय श्री गणेश 🙏