कैनल में कैद अब झूठा नबाब
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प्रदत्त चित्र पर हास्यव्यंग रचना
आँखों में चश्मा मुँह में गुलाब,
हाथ मोबाइल करके आदाब
गले में मोती जड़ा था पट्टा,
चला जो शेरू बनके नबाब
कदम कदम पर यार मिले,
चापलूस दो -चार मिले
मचले मन औ बहके कदम के,
जी हुजूर सरकार मिले
आड़ी तिरछी पोज बनाई,
यो यो वाली फोटो खिंचाई
टेढी-मेढ़ी सी दुम हिलाकर,
उठाये पंजे सैल्फी बनाई
आवारगी की सनक जो थी,
मालिक बुलाये पर भनक न थी।
गुर्रा रहा था वो फुल जोश में,
हंटर पड़ा तब आया होश में
लोटा जमीं पे वो दुम हिलाकर,
सारी मस्ती मन से भुलाकर
चश्मा टूटा और छूटा गुलाब,
कैनल में कैद अब झूठा नबाब।।
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टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को पाँच लिंको का आनन्द मंच पर साझा करने हेतु।
हटाएंसादर आभार।
बहुत सुंदर सारगर्भित रचना सुधा जी । उत्तम चित्राभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंके साथ साथ आज के यथार्थ का भी दर्शन करा गई आपकी रचना ।
जी, जिज्ञासा जी! तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहा हा हा, सटीक हास्य व्यंग्य रचना सुधा जी।
जवाब देंहटाएंअच्छी कल्पना शक्ति, सुंदर चित्राभिव्यक्ति
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी!
हटाएंथोड़ी देर के लिए कोई भी अपन8 असलियत भूल सकता है लेकिन आखिरकार वास्तविकता से रूबरू होना ही पड़ता है इस सच्चाई को व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!
हटाएंबहुत सुंदर सार गर्भित रचना ।दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.मधुलिका जी!
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हास्य गहन भाव को समेटे
जवाब देंहटाएंअद्भुत
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. अनीता जी!
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आ.जोशी जी!
हटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर चित्राभिव्यक्ति ।
हार्दिक धन्यवाद मीना जी!
हटाएंसटीक ...
जवाब देंहटाएंहास्य और व्यंग का अपना ही मज़ा है ...
अच्छी रचना है ...
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद नासवा जी!
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