बीती ताहि बिसार दे

चित्र
  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

कैनल में कैद अब झूठा नबाब

प्रदत्त चित्र पर हास्यव्यंग रचना


Pet dog
चित्र साभार Quora से

           

               आँखों में चश्मा मुँह में गुलाब, 

               हाथ मोबाइल करके आदाब

               गले में मोती जड़ा था पट्टा,

               चला जो शेरू बनके नबाब


                कदम कदम पर यार मिले, 

                चापलूस दो -चार मिले

                मचले मन औ बहके कदम के,

                 जी हुजूर सरकार मिले


                  आड़ी तिरछी पोज बनाई,

                  यो यो वाली फोटो खिंचाई

                  टेढी-मेढ़ी सी दुम हिलाकर,

                  उठाये पंजे सैल्फी बनाई


                 आवारगी की सनक जो थी,

                 मालिक बुलाये पर भनक न थी।

                 गुर्रा रहा था वो फुल जोश में, 

                 हंटर पड़ा तब आया होश में


                लोटा जमीं पे वो दुम हिलाकर,

                 सारी मस्ती मन से भुलाकर

                 चश्मा टूटा और छूटा गुलाब, 

                 कैनल में कैद अब झूठा नबाब।।

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को पाँच लिंको का आनन्द मंच पर साझा करने हेतु।
      सादर आभार।

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर सारगर्भित रचना सुधा जी । उत्तम चित्राभिव्यक्ति
    के साथ साथ आज के यथार्थ का भी दर्शन करा गई आपकी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी, जिज्ञासा जी! तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. हा हा हा, सटीक हास्य व्यंग्य रचना सुधा जी।
    अच्छी कल्पना शक्ति, सुंदर चित्राभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  5. थोड़ी देर के लिए कोई भी अपन8 असलियत भूल सकता है लेकिन आखिरकार वास्तविकता से रूबरू होना ही पड़ता है इस सच्चाई को व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सार गर्भित रचना ।दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.मधुलिका जी!
      ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      हटाएं
  7. हास्य गहन भाव को समेटे
    अद्भुत

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह !!
    अति सुंदर चित्राभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  9. सटीक ...
    हास्य और व्यंग का अपना ही मज़ा है ...
    अच्छी रचना है ...

    जवाब देंहटाएं

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