सोमवार, 30 मार्च 2020

चरणों में राधा क्यों....


RadhaKrishna : a story of true love

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

जग दे तुम्हें सम्मान प्रभु ने
क्या न कर डाला.....
जप में श्याम से पूर्व राधे
नाम रख डाला....
पनिहारिन बने मिलते वे
मटकी फोड़ कहलाये....
रचने रास राधे संग जमुना
तीर वो आये.....
फिर हर कलाकृति में यहाँ
हैं श्याम ज्यादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?

वामांगी है पत्नी सर्वदा सम्मान,
सम स्थान दें.......
कदमों में होंगी जन्नतें यदि
मूल-मंत्र ये मान लें....
तस्वीर यदि बदलें स्वयं श्रीहरि
भी ये ही चाहेंगे.....
राधा सहित यूँ श्रीकृष्ण फिर से
इस धरा में आयेंगे

सम्मान देंगे नारी को न करते
तुम ये वादा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?
चित्र; साभार व्हाट्सएप से

33 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

वाह वाह बहुत सुंदर गीत सुधा जी।
स्त्रियों के सम्मान के लिए एक स्त्री के मनभावन उद्बबोधन।
त्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों.....?
शुरुआत की चार पंक्तियों में.पूरी रचना का विस्तृत सार छुपा है। बहुत सुंदर लेखन।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुंदर

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन नवगीत लिखा है सखी 👌👌👌👌

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ श्वेता जी सुन्दर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु....
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई !

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद सखी !उत्साहवर्धन हेतु...
सस्नेह आभार।

Subodh Sinha ने कहा…

दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं। अर्धाङ्गिनी अर्थात् आधे अंग को अगर सम्मान भी आधा-आधा बराबर बंटे तो क्या गलत है भला ?
और चित्र के सन्दर्भ में नज़र का फेर हौ सकता है, प्रेमी या प्रेमिका का एक-दूसरे के चरण में नहीं ...पर गोद में रहना सुखदायक ही हो सकता है और किसी पल किसी एक का ही स्थान वहाँ हो सकता है ...शायद ...
( कुछ गलत लिखा गया हो तो अग्रिम क्षमा ... )

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ,सरल स्निग्ध प्रश्न पूछती , सुंदर शब्दावली।
वाह रचना।

विश्वमोहन ने कहा…

हम तो यहीं जानते हैं:-
राधा बिन श्याम आधा
शक्ति नहीं तो शिव शव।
सीता के लिए राम भटके
आप सब बिन ब्लॉग नीरव।😀
नारी शक्ति की महिमा अपरंपार है। सुंदर कविता श्याम को ललकारती और राधा को उकसाती हुई।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सुंदर रचना

Sudha Devrani ने कहा…

पति पत्नी बराबरी का रिश्ता है ।चित्राभिव्यक्ति में स्त्री चरणों में है...इसलिए कविता विरोधाभास पर आधारित है.....दूसरे अंतरे में स्पष्ट है
तस्वीर यदि बदलो.....
मानवकृत तस्वीर!!!
ध्यान देंगे तो पायेंगे कि रचना का आशय वही है जो आपका मत है...
फिर भी कुछ कमी हो तो मेरी सृजनशीलता की ही होगी जो अपना भावस्पष्ट कर पाने में असमर्थ हो गयी।इसलिए क्षमा प्रार्थी मैं हूँ आदरणीय
अपने विचार स्पष्ट करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ कुसुम जी !सुन्दर प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु...
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ आदरणीय विश्वमोहन जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया विभा जी!
सादर आभार।

Jyoti Dehliwal ने कहा…


पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?
नारी को सम्मान दिलाता बहुत ही सही सवाल, सुधा दी।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

पत्नी अगर अर्धांगिनी
सम्मान आधा क्यों.....?
जिस बिन अधूरा श्याम जप
चरणों में राधा क्यों....?

एक सार्थक प्रश्न उठाती सुंदर रचना। जिसे दिन लोग समझ जायेंगे कि राधा का स्थान चरणों में नहीं हृदय में है तो उस दिन यह धरती शायद स्वर्ग बन जाए....

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय! उत्साहवर्धन हेतु......
सादर आभार।

Guthliyan ने कहा…

वाक़ई में नई सोच, बहुत ही उम्दा।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद , आदरणीय ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाजिब प्रश्न ...
मुझे लगता है। होते इंसान की पुरुष सत्ता का प्रतीक है ... पत्नी, का सहयोग पति से कहीं ज़्यादा होता है और राधा की शक्ति न होती तो क्रिशन भी कहाँ क्रिशन होते ...
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ! उत्साहवर्धन हेतु...
सादर आभार।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०४-०४-२०२०) को "पोशाक का फेर "( चर्चा अंक-३६६१ ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी, मेरी रचना साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।

Meena sharma ने कहा…

बहुत प्यारी रचना। नारी मन की संवेदना की गहराइयों को छूती हुई....

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद मीना जी, उत्साहवर्धन हेतु...
सस्नेह आभार।

Kamini Sinha ने कहा…

तस्वीर यदि बदलें स्वयं श्रीहरि
भी ये ही चाहेंगे.....
राधा सहित यूँ श्रीकृष्ण फिर से
इस धरा में आयेंगे

बहुत खूब ,सुंदर भाव लिए मनमोहक सृजन ,सादर नमन सुधा जी

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कामिनी जी !
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद ओंकार जी !
सादर आभार।

रेणु ने कहा…

बहुत खूब सुधा जी | ये प्रश्न बनते हैं | चरणों में राधा क्यों ? जबकि राधा का चरित श्याम को पूर्णता प्रदान करता है | बहुत रोचक और भावपूर्ण रचना जो चिंतनपरक भी है | हार्दिक शुभकामनाएं आपको इस भावोत्तेजक रचना के लिए |

Sudha Devrani ने कहा…

मेरे विचारों से सहमत होने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सखी !

Radhey ने कहा…

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