बुधवार, 22 अप्रैल 2020

गीत - हम क्रांति के गीत गाते चलें


 beautiful buds of flower indicating joy

राष्ट्र की चेतना को जगाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...

अंधेरे को टिकने न दें हम यहाँ
भय को भी छिपने न दें हम यहाँ
मन में किसी के निराशा न हो
आशा का सूरज उगाते चलें ।
हम क्रांति के गीत गाते चलें...

जागे धरा और गगन भी जगे
दिशा जाग जाए पवन भी जगे
नया तान छेड़े अब पंछी यहाँ
नव क्रांति के स्वर उठाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...

अशिक्षित रहे न कोई देश में
पराश्रित रहे न कोई देश में
समृद्धि दिखे अब चहुँ दिश यहाँ
सशक्त राष्ट्र अपना बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........

प्रदूषण हटाएंं पर्यावरण संवारें
पुनः राष्ट्रभूमि में हरितिमा उगायें
सभ्य, सुशिक्षित बने देशवासी
गरीबी ,उदासी मिटाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........

जगे नारियाँ शक्ति का बोध हो
हो प्रगति, न कोई अवरोध हो
अब देश की अस्मिता जाए
शक्ति के गुण गुनगुनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...........

युवा देश के आज संकल्प लें
नव निर्माण फिर से सृजन का करें
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........

24 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

क्या बात है वाह अति ओजपूर्ण सकारात्मकता से परिपूर्ण शानदार अभिव्यक्ति सुधा जी।
बहुत सुंदर रचना।
साधुवाद।
बधाई सच में बहुत अच्छी लगी रचना।

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! नवनिर्माण का पांचजन्य नाद!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी उत्साहवर्धन हेतु...।आपको रचना अच्छी लगी तो श्रम साध्य हुआ...
सस्नेह आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ आदरणीय विश्वमोहन जी!
आपकी प्रतिक्रिया उत्साह द्विगुणित कर देती है।
तहेदिल से धन्यवाद।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

राष्ट्र की चेतना को जगाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...बहुत सुंदर भाव।
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें। बहुत प्रासंगिक।

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

अनीता सैनी ने कहा…

वाह !आदरणीया दीदी लाजवाब सृजन 👌👌

Meena Bhardwaj ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

आप भी सादर आमंत्रित है

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी!
आपकी सराहना पाकर उत्साह द्विगुणित हुआ।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद मीना जी!मेरी रचना साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

युवा देश के आज संकल्प लें
नव निर्माण फिर से सृजन का करें
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
काश, ऐसा ही हो। बहुत ही सुंदर रचना सुधा दी।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ ज्योति जी !तहेदिल से धन्यवाद आपका।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सकारात्मक आह्वान करता सुंदर गीत सुना जी ।
अभिनव।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
उम्दा सृजन के लिए साधुवाद

रेणु ने कहा…

जगे नारियाँ शक्ति का बोध हो
हो प्रगति, न कोई अवरोध हो
अब देश की अस्मिता जाए
शक्ति के गुण गुनगनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें.
बहुत ही ओजपूर्ण क्रान्ति गीत प्रिय सुधा जी | अगर ये क्रान्ति संभव हो जाए तो रामराज्य ही आ जाए | सस्नेह शुभकामनाएं| आजकल आप कमाल के नवगीत लिख रहीं हैं |

anita _sudhir ने कहा…

ओजपूर्ण सृजन

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,सुंदर नवनिर्माण का गीत । ओ धरती के लाल धरा को स्वर्ग समान करें ,नवनिर्माण करें ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया विभा जी!
सादर आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार, आदरणीया कुसुम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ सखी!तहेदिल से धन्यवाद आपका ....
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया हमेशा मेरी लेखनी को सम्बल प्रदान कर मेरा उत्साहवर्धन करती है।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार, अनीता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आ. ओंकार जी !

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ शुभा जी!तहदिल से धन्यवाद आपका।

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