राष्ट्र की चेतना को जगाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
अंधेरे को टिकने न दें हम यहाँ
भय को भी छिपने न दें हम यहाँ
मन में किसी के निराशा न हो
आशा का सूरज उगाते चलें ।
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
जागे धरा और गगन भी जगे
दिशा जाग जाए पवन भी जगे
नया तान छेड़े अब पंछी यहाँ
नव क्रांति के स्वर उठाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...
अशिक्षित रहे न कोई देश में
पराश्रित रहे न कोई देश में
समृद्धि दिखे अब चहुँ दिश यहाँ
सशक्त राष्ट्र अपना बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
प्रदूषण हटाएंं पर्यावरण संवारें
पुनः राष्ट्रभूमि में हरितिमा उगायें
सभ्य, सुशिक्षित बने देशवासी
गरीबी ,उदासी मिटाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
जगे नारियाँ शक्ति का बोध हो
हो प्रगति, न कोई अवरोध हो
अब देश की अस्मिता जाए
शक्ति के गुण गुनगुनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...........
युवा देश के आज संकल्प लें
नव निर्माण फिर से सृजन का करें
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
24 टिप्पणियां:
क्या बात है वाह अति ओजपूर्ण सकारात्मकता से परिपूर्ण शानदार अभिव्यक्ति सुधा जी।
बहुत सुंदर रचना।
साधुवाद।
बधाई सच में बहुत अच्छी लगी रचना।
वाह! नवनिर्माण का पांचजन्य नाद!
हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी उत्साहवर्धन हेतु...।आपको रचना अच्छी लगी तो श्रम साध्य हुआ...
सस्नेह आभार आपका।
आभारी हूँ आदरणीय विश्वमोहन जी!
आपकी प्रतिक्रिया उत्साह द्विगुणित कर देती है।
तहेदिल से धन्यवाद।
राष्ट्र की चेतना को जगाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें...बहुत सुंदर भाव।
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें। बहुत प्रासंगिक।
सस्नेह आभार भाई!
वाह !आदरणीया दीदी लाजवाब सृजन 👌👌
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी!
आपकी सराहना पाकर उत्साह द्विगुणित हुआ।
सस्नेह आभार।
तहेदिल से धन्यवाद मीना जी!मेरी रचना साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।
युवा देश के आज संकल्प लें
नव निर्माण फिर से सृजन का करें
मानवी वेदना को मिटाते हुए
धरा स्वर्ग सी अब बनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें..........
काश, ऐसा ही हो। बहुत ही सुंदर रचना सुधा दी।
आभारी हूँ ज्योति जी !तहेदिल से धन्यवाद आपका।
बहुत सुंदर सकारात्मक आह्वान करता सुंदर गीत सुना जी ।
अभिनव।
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
उम्दा सृजन के लिए साधुवाद
जगे नारियाँ शक्ति का बोध हो
हो प्रगति, न कोई अवरोध हो
अब देश की अस्मिता जाए
शक्ति के गुण गुनगनाते चलें
हम क्रांति के गीत गाते चलें.
बहुत ही ओजपूर्ण क्रान्ति गीत प्रिय सुधा जी | अगर ये क्रान्ति संभव हो जाए तो रामराज्य ही आ जाए | सस्नेह शुभकामनाएं| आजकल आप कमाल के नवगीत लिख रहीं हैं |
ओजपूर्ण सृजन
बहुत सुंदर
वाह!सुधा जी ,सुंदर नवनिर्माण का गीत । ओ धरती के लाल धरा को स्वर्ग समान करें ,नवनिर्माण करें ।
हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया विभा जी!
सादर आभार आपका।
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार, आदरणीया कुसुम जी!
आभारी हूँ सखी!तहेदिल से धन्यवाद आपका ....
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया हमेशा मेरी लेखनी को सम्बल प्रदान कर मेरा उत्साहवर्धन करती है।
अत्यंत आभार, अनीता जी !
बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आ. ओंकार जी !
आभारी हूँ शुभा जी!तहदिल से धन्यवाद आपका।
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