श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ● प्रभु फिर आइए
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 26 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद यशोदा जी! मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा करने हेतु...
हटाएंसादर आभार।
सुधा दी,किशोरावस्था की उलझन को आपने बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं। हर इंसान की किशोरावस्था में यहीं हालत होती हैं।
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी!तहेदिल से धन्यवाद आपका मेरे विचारों से सहमत होने हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
उलझन में हूँ समझ न आता
जवाब देंहटाएंऐसे मुझको कुछ नहीं भाता
बड़ा हो गया या हूँ बच्चा !
क्या मैं निपट अकल का कच्चा ? बहुत सुंदर रचना किशोरावस्था की उलझन को व्यक्त करती।
सस्नेह आभार भाई !
जवाब देंहटाएंसुनो माँ अब तो बात मेरी
जवाब देंहटाएंऔर आर करो या पार!
छोटा हूँ तो बचपन सा लाड दो
हूँ बडा़ तो दो अधिकार !
टीवी मोबाइल हो या कम्प्यूटर
मेरे लिए सब लॉक
थोड़ी सी गलती कर दूँ तो
सब करते हो ब्लॉक... बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी 👌
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी! उत्साह वर्धन हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
ये किशोरावस्था होती ही ऐसी है ...।बहुत ही उम्दा सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद,शुभा जी!
हटाएंबेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार सखी!
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद जोशी जी !
हटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी रचना साझा करने हेतु।
जवाब देंहटाएंअभूतपूर्व जी, हमारे ब्लॉग पर भी जरूर देखें प्रेरणादायक सुविचार
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