बीती ताहि बिसार दे

स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं। पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं । परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे । ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 26 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद यशोदा जी! मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा करने हेतु...
हटाएंसादर आभार।
सुधा दी,किशोरावस्था की उलझन को आपने बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं। हर इंसान की किशोरावस्था में यहीं हालत होती हैं।
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी!तहेदिल से धन्यवाद आपका मेरे विचारों से सहमत होने हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
उलझन में हूँ समझ न आता
जवाब देंहटाएंऐसे मुझको कुछ नहीं भाता
बड़ा हो गया या हूँ बच्चा !
क्या मैं निपट अकल का कच्चा ? बहुत सुंदर रचना किशोरावस्था की उलझन को व्यक्त करती।
सस्नेह आभार भाई !
जवाब देंहटाएंसुनो माँ अब तो बात मेरी
जवाब देंहटाएंऔर आर करो या पार!
छोटा हूँ तो बचपन सा लाड दो
हूँ बडा़ तो दो अधिकार !
टीवी मोबाइल हो या कम्प्यूटर
मेरे लिए सब लॉक
थोड़ी सी गलती कर दूँ तो
सब करते हो ब्लॉक... बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी 👌
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी! उत्साह वर्धन हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
ये किशोरावस्था होती ही ऐसी है ...।बहुत ही उम्दा सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद,शुभा जी!
हटाएंबेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार सखी!
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद जोशी जी !
हटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी रचना साझा करने हेतु।
जवाब देंहटाएंअभूतपूर्व जी, हमारे ब्लॉग पर भी जरूर देखें प्रेरणादायक सुविचार
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