बीती ताहि बिसार दे

चित्र
  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

राजनीति और नेता


       

pencil cartoon with aggression expressionShri Narendra Modi

    
आज मेरी लेखनी ने 
राजनीति की तरफ देखा,
 आँखें इसकी चौंधिया गयी 
मस्तक पर छायी गहरी रेखा।
                                                                               
  संसद भवन मे जाकर इसने
    नेता देखे बडे-बडे,
 कुछ पसरे थे कुर्सी पर ,
     कुछ भाषण देते खडे-खडे।
                     
          कुर्सी का मोह है ,
        शब्दों में जोश है,
 विपक्ष की टाँग खींचने का 
     तो इन्हें बडा होश है।
                
    लकीर के फकीर ये,और 
      इनके वही पुराने मुद्दे,
      बहस करते वक्त लगते 
        ये बहुत ही भद्दे

  काम नहीं राम मंदिर की 
     चर्चा इन्हें प्यारी है,
  शुक्र है इतना कि अभी 
    मोदी जी की बारी है।
                                        
     मोदी जी का साथ है,
     देश की ये आस है।
     कुछ अलग कर रहे हैं,
        और अलग करेंगें,
    यही हम सबका विश्वास है।
                                   
   लडखडाती अर्थव्यवस्था की 
       नैया को पार लगाना है
विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
     आपको देश आगे बढाना है।
                                                             

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. हार्दिक धन्यवाद आ.यशोदा जी ! मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक सोच । मोदी पर अभी बजी विश्वास कायम है ।
    यशोदा ने 14 दिसंबर लिखा तो एक बार सोचना पड़ा कि आज क्या तारीख है ।

    जवाब देंहटाएं
  4. लडखडाती अर्थव्यवस्था की
    नैया को पार लगाना है
    विपक्ष को अनसुना कर मोदी जी
    आपको देश आगे बढाना है।
    मोदी जी ने आपकी कही सुन ली सुधा जी और यकिनन आपको निराश भी नहीं किया ☺️

    जवाब देंहटाएं
  5. गोपेश मोहन जैसवाल21 दिसंबर 2022 को 5:09 pm बजे

    सुधा जी, राजनेताओं की तारीफ़ और उनका समर्थन तभी कीजिए जब आपको राजनीतिक दलदल में कूदना हो.

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  6. मन के भावों की सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं

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