हिन्दी अपनी शान
कुण्डलिया छन्द -- प्रथम प्रयास
【1】
हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।
शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।
भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।
उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।
कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।
भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी
【2】
भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।
सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।
है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती।
चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती।
कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा।
हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।।
चित्र, साभार pixabay से......
टिप्पणियाँ
सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।
हिन्दी भाषा के सम्मान मनमोहक कुंडलियों का सृजन लाजवाब है सुधा जी ! बहुत बहुत बधाई ।
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सर!
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भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी।।
बहुत सुंदर। पविश्व हिन्दी दिवस की शुभकामना, सुधा दी।
सादर आभार।
सस्नेह आभार।
सादर आभार।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-1-21) को "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (चर्चा अंक-3944) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी प्रिय सुधा जी।
सस्नेह।
सस्नेह आभार।
आपको भी अनंत शुभकामनाएं।
आपको रचना अच्छी लगी हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
सच है हिन्दी का भण्डार ... गेयता और सुन्दरता का कोई सानी नहीं ... बाखूबी आपने लिखा है ...
बधाई और साधुवाद।
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई 💐💐
सस्नेह आभार।
सादर आभार।