बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

हिन्दी अपनी शान

कुण्डलिया छन्द --   प्रथम प्रयास

hindi poem



 【1】

हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।

शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।

भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।

उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।

कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी 


【2】

भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।

सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।

है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती।

चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती।

कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा।

हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।।


चित्र, साभार pixabay से......

टिप्पणियाँ

  1. हर तरह से सार्थक, पूर्ण तथा व्यापक होने के बावजूद अपना हक़ नहीं पा सक रही है

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    1. जी, सही कहा आपने...
      हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सर!

      हटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल।
    सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल।
    हिन्दी भाषा के सम्मान मनमोहक कुंडलियों का सृजन लाजवाब है सुधा जी ! बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और सार्थक छंद रचना के लिए आपको बधाई। सादर।

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  5. विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित शुभ प्रभात आदरणीया सुधा देवरानी जी।

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    1. आपको भी विश्व हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएं,आ. पुरुषोत्तम जी!
      सादर आभार।

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  6. बहुत बहुत सुन्दर सुधा जी ।शुभ कामनाएं

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    1. आभारी हूँ आ.आलोक जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।

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  7. कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।

    भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी।।
    बहुत सुंदर। पविश्व हिन्दी दिवस की शुभकामना, सुधा दी।

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    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  8. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 11 जनवरी 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आ. दिग्विजय जी मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर साझा करने हेतु...
      सादर आभार।

      हटाएं
  9. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-1-21) को "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (चर्चा अंक-3944) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा



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    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद कामिनी जी चर्चा मंच में मेरी रचना साझा करने हेतु।
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  10. शुभकामनाएं हिन्दी दिवस पर। सुन्दर सृजन।

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    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी !आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

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  11. विश्व हिंदी दिवस की असंख्य शुभकामनाएं, बहुत सुन्दर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, सर!
      आपको भी अनंत शुभकामनाएं।

      हटाएं
  12. हिंदी हमारी व्यवहारिक आत्मा का गीत है किंतु अपेक्षाकृत हिंदी भाषियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है उन्हें अनपढ और गँवार समझा जाता है इस मानसिकता का हमें विरोध करना होगा।
    आपकी रचना बहुत अच्छी लगी प्रिय सुधा जी।
    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा श्वेता जी आपने...हिन्दी भाषियों को अनपढ़ और गँवार समझा जाता है और लोग इस मानसिकता का विरोध करने के वजाय अपनी हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों को मिश्रित कर आधुनिकता की होड़ में शामिल हो रहे हैं....।जो बहुत ही दुखद है।
      आपको रचना अच्छी लगी हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

      हटाएं
  13. सुधा जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  14. " जो सुधा कहे बात ".....वही तो है हर हृदय की बात । अति सुन्दर ।

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  15. अच्छी कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर कुंडलनियाँ ... भाषा दिवस का मान भाषा में ही ...
    सच है हिन्दी का भण्डार ... गेयता और सुन्दरता का कोई सानी नहीं ... बाखूबी आपने लिखा है ...

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  17. कौन हिंदी-प्रेमी होगा सुधा जी जो आपकी रची इन कुंडलियों पर अपना मन न्यौछावर न कर दे ?

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  18. प्रिय सुधा जी , आपने प्रथम प्रयास में ही अद्भुत कुडली सृजन किया है | हिंदी को समर्पित ये कुंडलियाँ बहुत ही सार्थक और उत्तम हैं | यूँ ही लिखती रहिये | सस्नेह शुभकामनाएं|

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    उत्तर
    1. ये एक कोशिश है रेणु जी!उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

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  19. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी! सांध्य दैनिक मुखरित मौन के मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।

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  20. अहा सुधा जी ! सुंदर मनभावन कुंडलियाँ छंद वो भी हिंदी के सम्मान हित,अप्रतिम सार्थक सृजन उत्कृष्ट भाव दोनों कु० बहुत सुंदर बनी है ।
    बधाई और साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  21. हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी! बस प्रयास किया आपको ठीक लगी तो श्रम साध्य हुआ.. अत्यंत आभार आपका।

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  22. हिंदी को समर्पित सुंदर सिरमौर जैसी सार्थक कुंडलियां...
    हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई 💐💐

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    उत्तर
    1. तहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  23. वाह अत्यधिक सुंदर, विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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