श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ● प्रभु फिर आइए
बहुत सुंदर हाइकु सुधा जी, सुंदर प्राकृतिक बिंबों के साथ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी!
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी!
हटाएंसभी हायकु एक से बढ़कर एक हैं। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार विरेन्द्र जी!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हृदयतल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी!
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु...
सस्नेह आभार।
खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.ओंकार जी!
हटाएंअति उत्तम हाइकू
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.अनीता जी!
हटाएंजमीनी हकीकत बयां करते सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते लाजवाब हाइकु ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद जिज्ञासा जी!
हटाएंविविधरंगी भावों से सुसज्जित अत्यंत सुंदर हाइकु । लाजवाब सृजन सुधा जी !
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद मीना जी!
हटाएंक्या बात है ! बहुतसुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.गगन शर्मा जी!
हटाएंसुन्दर हाइकु
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार प्रिय मनीषा जी!
हटाएंएक से बढ़कर एक हायकु
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार संजय जी!
जवाब देंहटाएंबढ़िया हाइकु प्रिय सुधा जी । चाहकर है हाइकु सीख ना पाई पर थोड़े में कहने की अद्भुत कला है इस छोटे से हाइकु में।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!वाकई हायकु अद्भुत कला है।मैं भी प्रयास ही कर रही हूँ।आप भी शुरू कीजिए धीरे-धीरे सीख जायेंगे।
हटाएं