बल विद्या बुद्धि को बढ़ाता
बस धनवानों से है नाता
है छोटा पर बड़े हैं काम
क्या सखि साजन ?...
...........न सखि बादाम ।
बिन उसके मैं जी न पाऊँ
हर पल मैं उसको ही चाहूँ
अब तक उसका न कोई सानी
क्यों सखि साजन ?.........
.................... ना सखी पानी।
है छोटा पर काम बड़े हैं
कण कोशों में भरे पड़े हैं
कीट-पतंगों से अनुराग
क्या सखि साजन ?....
.................. नहिं री पराग ।
प्रेम प्रतीक है माना जाता
मन को मेरे अति हर्षाता
काँटों में भी रहे शादाब
हैं सखी साजन ?......
..................नहिं री गुलाब ।
चित्र साभार गूगल से.....
24 टिप्पणियां:
वाह सुधा जी बहुत सुंदर कह मुकरीयाँ।
लिखते रहिए ।
बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक सृजन।
सादर नमन।
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी !मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा कने के लिए....
सस्नेह आभार।
सहृदय धन्यवाद कुसुम जी !
सस्नेह आभार।
हृदयतल से धन्यवाद शशि जी !
सादर आभार।
बहुत सुंदर.
कुछ पहेली बुझाने जैसी रचना को कह्मुकरी कहते हैं शायद.
आइयेगा- प्रार्थना
बहुत सुन्दर सुधा जी !
बहुत सुंदर मुकरियां, सुधा दी।
बहुत सुंदर सुधा जी
बहुत ही सुंदर सृजन सुधा जी ,सादर नमस्कार
जी , तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका...।
हार्दिक धन्यवाद सर!
सादर आभार....।
सहृदय धन्यवाद ज्योति जी !
सस्नेह आभार....।
सहृदय धन्यवाद रितु जी !
सस्नेह आभार...।
आभारी हूँ यशोदा जी मुखरित मौन के मंच पर मेरी रचना साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
सहृदय धन्यवाद कामिनी जी !
सस्नेह आभार....।
बहुत सुन्दर कहमुकरियां सुधा जी !
सभी की सभी लाजवाब👌👌
बहुत सुंदर रोचक हास्य पैदा करतीं कहमुकारियाँ।
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर कहमुकरियाँ सखी
सस्नेह आभार सखी !
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
आभारी हूँ रविन्द्र जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हृदयतल से धन्यवाद सखी !
सस्नेह आभार।
बहुत ही सुंदर कहमुकरी लिखी है आपने...
बिन उसके मैं जी न पाऊँ
हर पल मैं उसको ही चाहूँ
अब तक उसका न कोई सानी
क्यों सखि साजन ?.........
.................... ना सखी पानी।
ऐसे ही लिखते रहें ।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
धन्यवाद पुरुषोत्तम जी हृदयतल से आभारी हूँ उत्साहवर्धन हेतु...।
एक टिप्पणी भेजें