धन्य-धन्य कोदंड (कुण्डलिया छंद)

💐 विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐 पुरुषोत्तम श्रीराम का, धनुष हुआ कोदंड । शर निकले जब चाप से, करते रोर प्रचंड ।। करते रोर प्रचंड, शत्रुदल थर थर काँपे। सुनकर के टंकार, विकल हो बल को भाँपे ।। कहे सुधा कर जोरि, कर्म निष्काम नरोत्तम । सर्वशक्तिमय राम, मर्यादा पुरुषोत्तम ।। अति गर्वित कोदंड है, सज काँधे श्रीराम । हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम ।। करता शत्रु तमाम, साथ प्रभुजी का पाया । कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया ।। धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति । धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति । सादर अभिनंदन 🙏🙏 पढ़िए प्रभु श्रीराम पर एक और रचना मनहरण घनाक्षरी छंद में ● आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है
वाह सुधा जी बहुत सुंदर कह मुकरीयाँ।
जवाब देंहटाएंलिखते रहिए ।
सहृदय धन्यवाद कुसुम जी !
हटाएंसस्नेह आभार।
बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर नमन।
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी !मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा कने के लिए....
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार।
हृदयतल से धन्यवाद शशि जी !
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंकुछ पहेली बुझाने जैसी रचना को कह्मुकरी कहते हैं शायद.
आइयेगा- प्रार्थना
जी , तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका...।
हटाएंबहुत सुन्दर सुधा जी !
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सर!
हटाएंसादर आभार....।
बहुत सुंदर मुकरियां, सुधा दी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद ज्योति जी !
हटाएंसस्नेह आभार....।
बहुत सुंदर सुधा जी
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद रितु जी !
हटाएंसस्नेह आभार...।
बहुत ही सुंदर सृजन सुधा जी ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद कामिनी जी !
हटाएंसस्नेह आभार....।
आभारी हूँ यशोदा जी मुखरित मौन के मंच पर मेरी रचना साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कहमुकरियां सुधा जी !
जवाब देंहटाएंसभी की सभी लाजवाब👌👌
सस्नेह आभार सखी !
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुंदर रोचक हास्य पैदा करतीं कहमुकारियाँ।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ।
आभारी हूँ रविन्द्र जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
हटाएंबहुत सुंदर कहमुकरियाँ सखी
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद सखी !
हटाएंसस्नेह आभार।
बहुत ही सुंदर कहमुकरी लिखी है आपने...
जवाब देंहटाएंबिन उसके मैं जी न पाऊँ
हर पल मैं उसको ही चाहूँ
अब तक उसका न कोई सानी
क्यों सखि साजन ?.........
.................... ना सखी पानी।
ऐसे ही लिखते रहें ।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
धन्यवाद पुरुषोत्तम जी हृदयतल से आभारी हूँ उत्साहवर्धन हेतु...।
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