कहमुकरी
बल विद्या बुद्धि को बढ़ाता
बस धनवानों से है नाता
है छोटा पर बड़े हैं काम
क्या सखि साजन ?...
...........न सखि बादाम ।
बिन उसके मैं जी न पाऊँ
हर पल मैं उसको ही चाहूँ
अब तक उसका न कोई सानी
क्यों सखि साजन ?.........
.................... ना सखी पानी।
है छोटा पर काम बड़े हैं
कण कोशों में भरे पड़े हैं
कीट-पतंगों से अनुराग
क्या सखि साजन ?....
.................. नहिं री पराग ।
प्रेम प्रतीक है माना जाता
मन को मेरे अति हर्षाता
काँटों में भी रहे शादाब
हैं सखी साजन ?......
..................नहिं री गुलाब ।
चित्र साभार गूगल से.....
टिप्पणियाँ
लिखते रहिए ।
सादर नमन।
सस्नेह आभार।
सस्नेह आभार।
सादर आभार।
कुछ पहेली बुझाने जैसी रचना को कह्मुकरी कहते हैं शायद.
आइयेगा- प्रार्थना
सादर आभार....।
सस्नेह आभार....।
सस्नेह आभार...।
सस्नेह आभार....।
सभी की सभी लाजवाब👌👌
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
सस्नेह आभार।
बिन उसके मैं जी न पाऊँ
हर पल मैं उसको ही चाहूँ
अब तक उसका न कोई सानी
क्यों सखि साजन ?.........
.................... ना सखी पानी।
ऐसे ही लिखते रहें ।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।