रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चित्र
         चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार

और एक साल बीत गया

Notebook pen

प्रदत्त पंक्ति 'और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास 



और एक साल बीत गया

 दिन मास पल छिन

 श्वास तनिक रीत गया 

हाँ ! और एक साल बीत गया !


ओस की सी बूँद जैसी

उम्र भी टपक पड़ी 

अंत से अजान ऐसी

बेल ज्यों लटक खड़ी 

मन प्रसून पर फिर से

आस भ्रमर रीझ गया 

और एक साल बीत गया !


साल भर चैन नहीं

पाने की होड़ लगी 

और, और, और अधिक

संचय की दौड़ लगी 

भान नहीं पोटली से

प्राण तनिक छीज गया

और एक साल बीत गया !


जो है सहेज उसे

चैन की इक श्वास तो ले

जीवन उद्देश्य जान

सुख की कुछ आस तो ले  

 मन जो संतुष्ट किया

वो ही जग जीत गया 

और एक साल बीत गया !


नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर --

● नववर्ष मंगलमय हो




टिप्पणियाँ

  1. बर्ष कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता,,,कुछ अच्छा बीते तो मन खुश वरना मन खट्टा कर निकल जाता है,,,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,
    नव वर्ष मंगलमय हो आपका,,,

    जवाब देंहटाएं
  2. सुधा जी, अभी पूरा साल कहाँ बीता है?
    अभी भी इस साल के बीतने में दो दिन से ज़्यादा का वक़्त बाक़ी है.
    हम इस साल के बाक़ी के दिन अगर आपकी इस ख़ूबसूरत कविता का आनंद लेते हुए बिताएंगे तो आने वाला हमारा साल बड़ा ख़ुशगवार बीतेगा.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सृजन सुधा जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत सुंदर सृजन सुधा जी
      मीना शर्मा

      हटाएं
  4. behad khubsurat
    More Hindi poetry - https://www.youtube.com/watch?v=OChK_3FHBKQ

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहद सुंदर अभिव्यक्ति दी।
    अनवरत चल रहे पलों के खट्टी-मीठी स्मृतियों से गूँथा जीवन बस रीत ही रहा है। दार्शनिक, व्यवहारिक ,यथार्थ वादी भावों के मिश्रण से बनी कविता मानों संपूर्ण वर्ष का लेखा जोखा कह रही।
    सस्नेह प्रणाम दी।
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ३१ दिसम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. नववर्ष की सुभकामनाएं | सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं
  7. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ सुधा जी ! जीवन की आपाधापी में गुजरते समय का लाजवाब वर्णन करती बहुत सुन्दर कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  8. सचमुच २०२4 तो ऐसे ही पीता ... पल भर में ...

    जवाब देंहटाएं

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