बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

प्रभु फिर आइए

Prabhu fie aiye prayer


जग के पालनहार,
दीन करते गुहार,
लेके अब अवतार,
प्रभु फिर आइए ।

दैत्य वृत्ति बढ़ रही,
कुत्सा सर चढ़ रही,
प्रीत का मधुर राग,
जग को सुनाइए ।

भ्रष्ट बुद्धि हुई क्रुद्ध,
धरा झेल रही युद्ध,
सृष्टि के उद्धार हेतु,
चक्र तो उठाइए ।

कर्म की प्रधानता का,
धर्म की महानता का,
सत्य पुण्य नीति ज्ञान,
सब को बताइये ।

दुष्ट का संहार कर,
तेज का विस्तार कर,
धुंध के विनाश हेतु,
मार्ग तो सुझाइए ।

बने पुनः विश्व शान्ति,
मिटे सभी मन भ्रांति,
भक्त हो सुखी सदैव,
कृपा बरसाइए ।

आओ न कृपानिधान,
बाँसुरी की छेड़ तान,
विधि के विधान अब,
पुनः समझाइए  ।

धर्म की कराने जय,
मेंटने संताप भय,
दिव्य रुप धार कर,
प्रभु फिर आइए ।




पढ़िये एक और घनाक्षरी छंद..

राम एक संविधान




टिप्पणियाँ

  1. गोपेश मोहन जैसवाल23 अक्टूबर 2023 को 7:04 am बजे

    बहुत सुन्दर प्रभु-प्रार्थना !

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  2. दिव्य रुप धार कर प्रभु फिर आइए..सुन्दर परस्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर भाव विह्वल करती प्रार्थना सुधा जी।
    विजयादशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! सुधा जी ,बहुत खूबसूरत भावों से सजी प्रार्थना ।

    जवाब देंहटाएं
  5. चक्र तो उठाइए ... हे कृष्ण अब तो आ ही जाइए ...
    सुन्दर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं


  6. बने पुनः विश्व शान्ति
    मिटे सभी मन भ्रांति
    भक्त हो सुखी सदैव
    कृपा बरसाइए ।

    आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना
    । सुंदर रचना की बधाई सखी!

    जवाब देंहटाएं
  7. भक्तिभाव से पूर्ण सुंदर रचना

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  8. बहुत सुंदर, भक्ति से ओत प्रोत पुकार !

    जवाब देंहटाएं

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