सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

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  किसको कैसे बोलें बोलों, क्या अपने हालात  सम्भाले ना सम्भल रहे अब,तूफानी जज़्बात मजबूरी वश या भलपन में, सहे जो अत्याचार जख्म हरे हो कहते मन से , करो तो पुनर्विचार तन मन ताने देकर करते साफ-साफ इनकार, बोले अब न उठायेंगे,  तेरे पुण्यों का भार  तन्हाई भी ताना मारे, कहती छोड़ो साथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात सबकी सुन सुन थक कानों ने भी सुनना है छोड़ा खुद की अनदेखी पे आँखें भी रूठ गई हैं थोड़ा ज़ुबां लड़खड़ा के बोली अब मेरा भी क्या काम चुप्पी साधे सब सह के तुम कर लो जग में नाम चिपके बैठे पैर हैं देखो, जुड़ के ऐंठे हाथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात रूह भी रहम की भीख माँगती, दबी पुण्य के बोझ पुण्य भला क्यों बोझ हुआ, गर खोज सको तो खोज खुद की अनदेखी है यारों, पापों का भी पाप ! तन उपहार मिला है प्रभु से, इसे सहेजो आप ! खुद के लिए खड़े हों पहले, मन मंदिर साक्षात सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात ।। 🙏सादर अभिनंदन एवं हार्दिक धन्यवादआपका🙏 पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर .. ●  तुम उसके जज्बातों की भी कद्र कभी करोगे

प्रभु फिर आइए

Prabhu fie aiye prayer


जग के पालनहार,
दीन करते गुहार,
लेके अब अवतार,
प्रभु फिर आइए ।

दैत्य वृत्ति बढ़ रही,
कुत्सा सर चढ़ रही,
प्रीत का मधुर राग,
जग को सुनाइए ।

भ्रष्ट बुद्धि हुई क्रुद्ध,
धरा झेल रही युद्ध,
सृष्टि के उद्धार हेतु,
चक्र तो उठाइए ।

कर्म की प्रधानता का,
धर्म की महानता का,
सत्य पुण्य नीति ज्ञान,
सब को बताइये ।

दुष्ट का संहार कर,
तेज का विस्तार कर,
धुंध के विनाश हेतु,
मार्ग तो सुझाइए ।

बने पुनः विश्व शान्ति,
मिटे सभी मन भ्रांति,
भक्त हो सुखी सदैव,
कृपा बरसाइए ।

आओ न कृपानिधान,
बाँसुरी की छेड़ तान,
विधि के विधान अब,
पुनः समझाइए  ।

धर्म की कराने जय,
मेंटने संताप भय,
दिव्य रुप धार कर,
प्रभु फिर आइए ।




पढ़िये एक और घनाक्षरी छंद..

राम एक संविधान




टिप्पणियाँ

  1. गोपेश मोहन जैसवाल23 अक्टूबर 2023 को 7:04 am बजे

    बहुत सुन्दर प्रभु-प्रार्थना !

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  2. दिव्य रुप धार कर प्रभु फिर आइए..सुन्दर परस्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर भाव विह्वल करती प्रार्थना सुधा जी।
    विजयादशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! सुधा जी ,बहुत खूबसूरत भावों से सजी प्रार्थना ।

    जवाब देंहटाएं
  5. चक्र तो उठाइए ... हे कृष्ण अब तो आ ही जाइए ...
    सुन्दर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं


  6. बने पुनः विश्व शान्ति
    मिटे सभी मन भ्रांति
    भक्त हो सुखी सदैव
    कृपा बरसाइए ।

    आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना
    । सुंदर रचना की बधाई सखी!

    जवाब देंहटाएं
  7. भक्तिभाव से पूर्ण सुंदर रचना

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  8. बहुत सुंदर, भक्ति से ओत प्रोत पुकार !

    जवाब देंहटाएं

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