प्रभु फिर आइए

Prabhu fie aiye prayer


जग के पालनहार,
दीन करते गुहार,
लेके अब अवतार,
प्रभु फिर आइए ।

दैत्य वृत्ति बढ़ रही,
कुत्सा सर चढ़ रही,
प्रीत का मधुर राग,
जग को सुनाइए ।

भ्रष्ट बुद्धि हुई क्रुद्ध,
धरा झेल रही युद्ध,
सृष्टि के उद्धार हेतु,
चक्र तो उठाइए ।

कर्म की प्रधानता का,
धर्म की महानता का,
सत्य पुण्य नीति ज्ञान,
सब को बताइये ।

दुष्ट का संहार कर,
तेज का विस्तार कर,
धुंध के विनाश हेतु,
मार्ग तो सुझाइए ।

बने पुनः विश्व शान्ति,
मिटे सभी मन भ्रांति,
भक्त हो सुखी सदैव,
कृपा बरसाइए ।

आओ न कृपानिधान,
बाँसुरी की छेड़ तान,
विधि के विधान अब,
पुनः समझाइए  ।

धर्म की कराने जय,
मेंटने संताप भय,
दिव्य रुप धार कर,
प्रभु फिर आइए ।




पढ़िये एक और घनाक्षरी छंद..

राम एक संविधान




टिप्पणियाँ

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रभु-प्रार्थना !
Ritu asooja rishikesh ने कहा…
दिव्य रुप धार कर प्रभु फिर आइए..सुन्दर परस्ति
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. सर !
मन की वीणा ने कहा…
बहुत सुंदर भाव विह्वल करती प्रार्थना सुधा जी।
विजयादशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹
शुभा ने कहा…
वाह! सुधा जी ,बहुत खूबसूरत भावों से सजी प्रार्थना ।
चक्र तो उठाइए ... हे कृष्ण अब तो आ ही जाइए ...
सुन्दर भावपूर्ण रचना ...


बने पुनः विश्व शान्ति
मिटे सभी मन भ्रांति
भक्त हो सुखी सदैव
कृपा बरसाइए ।

आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना
। सुंदर रचना की बधाई सखी!
MANOJ KAYAL ने कहा…
अनुपम प्रार्थना

MANOJ KAYAL ने कहा…
सरस कृति
Jyoti Dehliwal ने कहा…
बहुत सुंदर प्रार्थना।
Anita ने कहा…
भक्तिभाव से पूर्ण सुंदर रचना
Meena sharma ने कहा…
बहुत सुंदर, भक्ति से ओत प्रोत पुकार !

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