बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला
बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला भारी भरकम भरा था उसमें उम्मीदों का झोला कुछ अपने से कुछ अपनों से उम्मीदें थी पाली कुछ थी अधूरी, कुछ अनदेखी कुछ टूटी कुछ खाली बड़े जतन से एक एक को , मैंने आज टटोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला दीप जला करके आवाहन, माँ लक्ष्मी से बोली मनबक्से में झाँकों तो माँ ! भरी दुखों की झोली क्या न किया सबके हित, फिर भी क्या है मैने पाया क्यों जीवन में है मंडराता , ना-उम्मीदी का साया ? गुमसुम सी गम की गठरी में, हुआ अचानक रोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला प्रकट हुई माँ दिव्य रूप धर, स्नेहवचन फिर बोली ये कैसा परहित बोलो, जिसमें उम्मीदी घोली अनपेक्षित मन भाव लिए जो , भला सभी का करते सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति से, मन की झोली भरते मिले अयाचित सब सुख उनको, मन है जिनका भोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला मैं माँ तुम सब अंश मेरे, पर मन मजबूत रखो तो नहीं अपेक्षा रखो किसी से, निज बल स्वयं बनो तो दुख का कारण सदा अपेक्षा, मन का बोझ बढ़ाती बदले में क्या मिला सोचकर, ...
बहुत सुन्दर प्रभु-प्रार्थना !
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. सर !
हटाएंदिव्य रुप धार कर प्रभु फिर आइए..सुन्दर परस्ति
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव विह्वल करती प्रार्थना सुधा जी।
जवाब देंहटाएंविजयादशमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹
वाह! सुधा जी ,बहुत खूबसूरत भावों से सजी प्रार्थना ।
जवाब देंहटाएंचक्र तो उठाइए ... हे कृष्ण अब तो आ ही जाइए ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंबने पुनः विश्व शान्ति
मिटे सभी मन भ्रांति
भक्त हो सुखी सदैव
कृपा बरसाइए ।
आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना
। सुंदर रचना की बधाई सखी!
अनुपम प्रार्थना
जवाब देंहटाएंसरस कृति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रार्थना।
जवाब देंहटाएंभक्तिभाव से पूर्ण सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, भक्ति से ओत प्रोत पुकार !
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