बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला

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बहुत समय से बोझिल मन को  इस दीवाली खोला भारी भरकम भरा था उसमें  उम्मीदों का झोला कुछ अपने से कुछ अपनों से  उम्मीदें थी पाली कुछ थी अधूरी, कुछ अनदेखी  कुछ टूटी कुछ खाली बड़े जतन से एक एक को , मैंने आज टटोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला दीप जला करके आवाहन,  माँ लक्ष्मी से बोली मनबक्से में झाँकों तो माँ ! भरी दुखों की झोली क्या न किया सबके हित,  फिर भी क्या है मैने पाया क्यों जीवन में है मंडराता ,  ना-उम्मीदी का साया ? गुमसुम सी गम की गठरी में, हुआ अचानक रोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला प्रकट हुई माँ दिव्य रूप धर,  स्नेहवचन फिर बोली ये कैसा परहित बोलो,  जिसमें उम्मीदी घोली अनपेक्षित मन भाव लिए जो , भला सभी का करते सुख, समृद्धि, सौहार्द, शांति से,  मन की झोली भरते मिले अयाचित सब सुख उनको, मन है जिनका भोला बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला मैं माँ तुम सब अंश मेरे,  पर मन मजबूत रखो तो नहीं अपेक्षा रखो किसी से,  निज बल स्वयं बनो तो दुख का कारण सदा अपेक्षा,  मन का बोझ बढ़ाती बदले में क्या मिला सोचकर,  हीन भावना लाती आज समर्पण कर दो मुझको, उम्मीदों का झोला बहुत समय से बो

राम एक संविधान




Ram mandir ayodhya

 





मनहरण घनाक्षरी छंद


गूँज उठी जयकार,

तोरण से सजे द्वार,

पाँच शतक के बाद,

शुभ दिन आये हैं !


कौशल्या दुलारे राम,

दशरथ प्यारे राम,

पधारे अवध धाम,                     

मंदिर बनाये हैं ।


सज्ज हुआ सिंहद्वार,

सज्ज राम दरबार,

पंच मंडपों के संग,

देवता दर्शाए हैं ।


प्रिय शिष्य हनुमान,

करेंगे सभी के त्राण,

राम राजकाज हेतु,

गदा जो उठाये हैं ।


सिया राम परिवार,

सुखप्रद घरबार,

नयनाभिराम अति,

आसन सजाये हैं ।


राम राज अभिषेक,

प्राण-प्रतिष्ठा को देख,

शिशिर में भी भक्तों के,

जोश गरमाये हैं ।


राम आरती अजान ,

राम एक संविधान,

भारती के प्राण राम,

भक्त मन भाये है ।


इष्ट में विशिष्ट राम,

शिष्ट में प्रकृष्ट राम,

हर्ष के विमर्श बन,

विश्व में समाये हैं ।



पढ़िए श्रीगणेश जी स्तुति

गणपति वंदना










टिप्पणियाँ

  1. इष्ट में विशिष्ट राम,

    शिष्ट में प्रकृष्ट राम,

    हर्ष के विमर्श बन,

    विश्व में समाये हैं ।


    सच ऐसा लग रहा है कि पूरा विश्व राम मय हो गया है , बहुत ही सुन्दर भजन लिखा है आपने सुधा जी 🙏 जय श्री राम 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. राम ही राम कण-कण में जीवंत है।
    राम नाम भक्त हृदय का हर्षित बसंत है।।
    अति भावपूर्ण ,संपूर्ण समर्पण से रची गयी सुंदर अभिव्यक्ति दी।
    सस्नेह प्रणाम
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ६ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. सियाराम मय सब जग जानी ।
    करहु प्रणाम कर जोरि जुग पानी ॥
    भक्ति भाव से राम रंग में रमा समर्पित भाव से सृजित सुन्दर भजन सुधा जी ! सादर वन्दे!

    जवाब देंहटाएं
  4. इसे तो गायन में ढाला जाना चाह‍िए सुधा जी, राम राम....
    बहुत खूब ल‍िखा क‍ि राम राज अभिषेक,

    प्राण-प्रतिष्ठा को देख,

    शिशिर में भी भक्तों के,

    जोश गरमाये हैं ।...वाह

    जवाब देंहटाएं
  5. जय श्री राम सखी
    राम स्वयं में ही संविधान हैं सच एक-एक शब्द राम की विशिष्टता का परिचायक है।सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सज्ज हुआ सिंहद्वार,
    सज्ज राम दरबार,
    पंच मंडपों के संग,
    देवता दर्शाए हैं ।
    बहुत सुंदर दर्शन, जहां राम वहां सब सहज ही प्राप्त हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. भक्तिभाव से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रभु रॉक का मन्दिर देश में नयी दिशा देगा ... भारत का उदय निश्चित है ...
    बहुत सुन्दर अर्चना , भावपूर्ण ...

    जवाब देंहटाएं

  9. इष्ट में विशिष्ट राम,
    शिष्ट में प्रकृष्ट राम,
    हर्ष के विमर्श बन,
    विश्व में समाये हैं ।
    बहुत सुंदर सचमुच विशिष्ट घनाक्षरी।
    जय श्रीराम।

    जवाब देंहटाएं

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